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तुड ताण (६८)-अपने दल को अथवा | तुहारी (४, ५, ३२, ३४, ४२, ४८,
अपने भक्त को अपनी ओर ७५)--तेरी, तुम्हारी।
आकर्षण करने वाला, महत्व | तुहार (८३, ८१)--तेरे, तुम्हारे । प्रदान करने वाला। तड या तुहारो (६, २३, ३७, ७४,७५, ६8)तुड राजस्थानी में पार्टी या
तेरा, तुम्हारा। कुटुम्व-समूह का पर्याय है, तू (३४, ३८, ४६, ६८, ७२)-तू। अपने कुटुम्व-समूह या दल को | तूझ (३३, ३५, ३८, ६८) - तुझको, महत्ता प्रदान करने वाला तुझसे, तेरा, तेरे । तुडताण कहलाता हैं। यहां तठसौ (७०)-तुष्ठमान होंगे। भक्त-समूह को महत्ता देने | तूठा (७०)-तुष्ठमान हुए । वाला, ईश्वर।
तूठी (१७, ५६, ६६, ६५)-तुष्ठमान तुड़िताण (६, १७, ७५)-अपने कुल हुधा।
(तुड या तड) या दल का | तूनां (३७, ४८, ६८, १००) तेरी,
महत्व बढाने वाला, समर्थ । | तुझको। तुठी (२०)-तुष्ठ मान हुई। तूसा (३८)- तुझ से। तुठी (८८)-तुठमान हुआ। तूसे (२०)--तुष्ठमान हो। तणा (६६) के
ते (२१, ४८, ८४)-तू ने । तुना (४०, ४२) तुझको। तेजालू (११)-तेजस्वी, तेज वाला। तुन (३६) तुझको।
तेड (६०)- बुलाकर । तुरगम (४)-घोडा।
तेडस्य (६४) बुलाएगा, बुलवाएगा। तुरगम-कंध हयग्रीवावतार । तेडाव (१४)-वुलवाइए। तुरकरणी (१४) यवन स्त्री। तेडी (१४)-बुलावा । तुरत (७९)-तुरन्त, शीघ्र। तेती (४६)इतना, उतना। तुरी (११)-घोडा।
ते (१६, २३, ५३, ६६) तेरे, तूने । तुलछी (४१)--तुलसी।
तैईज (५८)-तूने ही। तुहाइलो (७५) तेरा।
तेही (१६, तूने ही। तुहारा (२०, ३४, ४३, ४४, ७५, ( तेहीज (६६)-तूने ही।
९७, ६६)-तेरा। | तै (६१, ८४, ८७, ६५)-- तूने ।