Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 201
________________ [ ४६ नु (१०३)-नु पटाडि (२२)-पटककर, पछाडकर । नुहै (३८)-नवीन ? पछाडिया (१५)-पराजित किए, मार । (१, ५३)-को डाले। नूर (३३, ३७, ६१, ८६) काति, पछार्ड (३०, ५२)—मारता है, मार आमा, दीप्ति, सुन्दरता । दिए। नेतळ दे (१५) | पछि (९१)—पश्चिम । नेम (५६, १३}-घर, भुवन । पछै (५२)-पश्चात्, वाद मे। नेह (३५)स्नेह पटराणी (१०१)—पद महिपी । नै (२, १७, ४४, ५२, ५३ -को, } पठाया (५०)-भेजे और। | पडमादा (६६)-प्रति शब्द, प्रति नैर्ड (७०)-निक्ट ध्वनि । नण (३६)-नयन, नत्र । पडिमै (६६)–वीरगति को प्राप्त होगे नो (५६)-को पढि (३६)-पढकर । न्याउ (१३)-न्याय? पण (७१)-प्रण, प्रतिज्ञा । न्यारी (३५, ४१)--पृथक । परिणजे (६७)-कहा जाता है । पणीज (४६ -कहा जाता है, कहिये । पंगरण (३६, ४३, ६१, ८४)-वस्त्र, पर्ण (३२, ४३, ८८, ६२, ६७)--- कपडे । कहता है। पंचाळी (५, ६२, ७२, ८४, ६८)- । पतरे (१९,- खप्पर मे। द्रौपदी। पताळ (२४)- अव लोक । पंजाहर ()-१ योद्धा, २ यवन । पतिगह (३१)-पतग, सूर्य । पंड (१८)-गरीर पतिसाह (४२, ४७, ७४) बादशाह, पख (१०२)- पक्ष पादगाह, स्वायी, पति । पखाळ (२४) - प्रक्षालन करते हैं, प्रक्षालन करता है । पतिसाहना (४५) - बादशाह के । पग (४७, ६७)-पैर, चरण । पतीगह (३७) - पातक, पाप । पच्छिमी (२२)-- पश्चिमी । पतीत (७१)-नीच, अधोगति प्राप्त । पछारण (२)-पहिचान लेते हैं । पथळ (85)-अधिक, बहुत ।

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