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________________ [ ३८ तुड ताण (६८)-अपने दल को अथवा | तुहारी (४, ५, ३२, ३४, ४२, ४८, अपने भक्त को अपनी ओर ७५)--तेरी, तुम्हारी। आकर्षण करने वाला, महत्व | तुहार (८३, ८१)--तेरे, तुम्हारे । प्रदान करने वाला। तड या तुहारो (६, २३, ३७, ७४,७५, ६8)तुड राजस्थानी में पार्टी या तेरा, तुम्हारा। कुटुम्व-समूह का पर्याय है, तू (३४, ३८, ४६, ६८, ७२)-तू। अपने कुटुम्व-समूह या दल को | तूझ (३३, ३५, ३८, ६८) - तुझको, महत्ता प्रदान करने वाला तुझसे, तेरा, तेरे । तुडताण कहलाता हैं। यहां तठसौ (७०)-तुष्ठमान होंगे। भक्त-समूह को महत्ता देने | तूठा (७०)-तुष्ठमान हुए । वाला, ईश्वर। तूठी (१७, ५६, ६६, ६५)-तुष्ठमान तुड़िताण (६, १७, ७५)-अपने कुल हुधा। (तुड या तड) या दल का | तूनां (३७, ४८, ६८, १००) तेरी, महत्व बढाने वाला, समर्थ । | तुझको। तुठी (२०)-तुष्ठ मान हुई। तूसा (३८)- तुझ से। तुठी (८८)-तुठमान हुआ। तूसे (२०)--तुष्ठमान हो। तणा (६६) के ते (२१, ४८, ८४)-तू ने । तुना (४०, ४२) तुझको। तेजालू (११)-तेजस्वी, तेज वाला। तुन (३६) तुझको। तेड (६०)- बुलाकर । तुरगम (४)-घोडा। तेडस्य (६४) बुलाएगा, बुलवाएगा। तुरगम-कंध हयग्रीवावतार । तेडाव (१४)-वुलवाइए। तुरकरणी (१४) यवन स्त्री। तेडी (१४)-बुलावा । तुरत (७९)-तुरन्त, शीघ्र। तेती (४६)इतना, उतना। तुरी (११)-घोडा। ते (१६, २३, ५३, ६६) तेरे, तूने । तुलछी (४१)--तुलसी। तैईज (५८)-तूने ही। तुहाइलो (७५) तेरा। तेही (१६, तूने ही। तुहारा (२०, ३४, ४३, ४४, ७५, ( तेहीज (६६)-तूने ही। ९७, ६६)-तेरा। | तै (६१, ८४, ८७, ६५)-- तूने ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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