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इनके पिता का नाम तो | अग्रंमु (२८)--अगम, ईश्वर ? श्वफलक था और इनकी | अघ ( ५०, ७४)-पाप । माता का नाम गोदिनी जव | अघड ( ७७ )-वह, जिसकी रचना कि वसुदेव के पिता का नाम
न हुई हो। देवमीढ और माता का नाम
अघासुर (५९)-अघ नामक असुर मारिपा था । संभव है दोनो
(राक्षस) निकट संबंधी और एक ही अचासुरा ( १०३ )-एक असुर। 2 कुल के हो जिस से अक्रूर, अछती ( १६)-गुप्त । कृष्ण के चाचा कहलाये।
अछतो ( ३८)-गुप्त, गायव । अखंड (३५)अटूट, अविच्छिन्न, ।
अछेद (४६)-अछेद्य ।
अछेप (४, ४६)-अस्पृश्य, स्पर्श पूरा।
रहित । अखियात (३०)-अद्भुत । अगथि ( ५६ )-अगस्त्य ।
| अजपा ( ३४, ३५) वह जाप जिस अगन (५१) अग्नि ।
के मूलमंत्र हस का उच्चारण अगम ( ३५, ३६ )-अगम्य, जहां
श्वास प्रति श्वास निरन्तर जहाँ पहुँचा न जा सके।
होता रहता हो, अजपा, हस
मत्र । अगल ( ५४ )-पूर्व के।
अजपा (४५)-उच्चारण न किया अगादि (४६)-पूर्व का।
जाने वाला तात्रिक मत्र । अगासुर (४, १००)-अघ नाम का अजमाल ( १६)-अजमाल नामएक दैत्य जो कस की खास
धारी। मंडली का असुर सेनापति था | अजरी (६४)-चचल, उत्पात करने तथा जिसे कृष्ण ने मारा था।
वाली। इसे बकासुर और पूतना का | अजरौ ( ४३, ७०) ब्रह्मा (प्रज) छोटा भाई भी बतलाया
का। जाता है।
प्रजाच (४०) अयाचक । अगासुरां (१०३ )-अघासुर नामक | अजामेल (७४) कन्नौज निवासी असुर।
एक ब्राह्मण जिन्होने आभग (३५)-अगाडी, भागे।
जीवन न तो कोई पुण्य कार्य
ज