Book Title: Paumappahasami Cariyam
Author(s): Devsuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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४५०
सिरिपउमप्पहसामिचरियं
मल्लक्खवाडमझे, पविसिय जुज्झेसु किं बहुणा ? ॥ ७८८ ॥ एवं ति ताण भणिए, महिनाहो गरुयचित्तउच्छाहो ।। निम्मवइ अक्खवाडं, सहसा पुरबाहिरुद्देसे ।। ७८९ ।। निद्धं जिमंति निच्चं, थंभम्मि वहंति गरुयवेगेण ।। धावंति पुलिणमझे, अन्नं पि कुणंति अब्भासं ।। ७९० ।। पत्तम्मि वक्कवारे दुव्वारो ते वि वक्कवावारा ।। पविसंति रंगमज्झे, दोन्नि वि निवपमुहपच्चक्खं ।। ७९१ ।। पढम पि भुयप्फालणमुद्दामं निम्मवंति ते धीरा ।। तह जह सहाजणाणं, सवणा भयजज्जरे जाया ।। ७९२ ।। गयणम्मि उप्पइत्ता, पडंति दूराउ गरुयनिग्घाया ।। तह जह सहाजणेहिं, सह सहसा कंपए वसुहा ।। ७९३ ।। निब्भरमच्छरगहिया, आयंबरलोयणा वि सारंभं ।।। परिरंभं कुव्वंता, सिणिद्धबंधु व्व नज्जंति ॥ ७९४ ।। अइकोडविडरिल्ला, मिलंति विहडंति झत्ति पुणरुत्तं ।। दोन्नि वि महल्लमल्ला उत्ताला कंसताल व्व ।। ७९५ ।। निट्ठरकुप्परमुट्ठीपमुहपहारेहिं अंगुवंगाणि ॥ जज्जरतराणि सहसा, कुणंति अवरुप्परं दोन्नि ।। ७९६ ।। कत्तरिपमुहे बंधे, दोन वि अन्नोन्नमसमनिब्बंधा ।। जच्छंति य मुच्चंति य निय निय लक्खेसु बद्धमणा ॥ ७९७ ।। उब्भडभंगुरभालो, कुमरो अइरत्तनयणविकरालो ।। सक्खा नयरजणाणं, कक्खाए तं खिवेऊणं ॥ ७९८ ।। जा तस्स जीवियव्वं, हरेइ ता तेण दुट्ठमल्लेणं ॥ परिरंभिय तं कुमरं, उप्पइयं नहयले सहसा ॥ ७९९ ।। रे रे कोदंडकरा, पयंडकंडेहिं हणह सत्तिकरा ॥ रे झत्ति ,सत्तिनिवहं, मुंचह रे नागपासकरा ।। ८०० ॥ काऊण पासविवसं, छलकारिणमेयमित्थ आणेह ।।
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