Book Title: Paumappahasami Cariyam
Author(s): Devsuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 496
________________ कुरुचंद्रकहा ४६७ चिट्ठइ तत्तो एगो, पत्तो कावालिओ तत्थ ।। १००७ ॥ तं दद्रुण भयंकररूवं, नासंति रायवरसुहडा ॥ कावालिएण तत्तो, आलिहियं मंडलं तत्थ ।। १००८ ।। सुमरिय विहिणा मंतं, डमरुयमप्फालिया चिया चलिया ॥ तत्तो समुट्ठिया सा, सहसा कन्ना चियाहिंतो ।। १००९ ॥ हा ताय ताय ! हा जणणि जणणि ! रक्ख त्ति जंपमाणीए । मुत्ताहलाणि तीए, मुहाओ पाडेइ सो पावो ।। १०१० ।। अह भयकंपिरदेहा, धरिया केसेसु कड्डिया तत्तो । सा तेण विलवमाणा, निवेसिया मंडलस्संतो ।।१०११ ॥ कड्डिय कत्तियमेसा, भणिया सुमरेसु देवयं इटुं ।। तत्यंतरम्मि कुमरो, खग्गकरो हवइ पच्चक्खो । १०१२ ।। उद्दामसरं जंपइ, रेरे ! कन्नं निसंसनिहणंतो ।। मारिज्जंतो इण्हि, सुमरसु तं चेव इट्ठसुरं ।। १०१३ ॥ . नाउं विग्घमुवट्टिय मह सो सुमरेइ थंभणि विज्जं ।। सा वि हु पुत्रवसेणं, पहवइ न हि तस्स कुमरस्स ।। १०१४ ।। कुमरं समीवपत्तं, सो भणेइ किं करेसि मह विग्घं ।। अहयं खु भारभूई नामा कावालिओ कुमर ! ॥ १०१५ ॥ इत्थीरयणागरिसणमंतो पारंभिओ मए पुव्वं ।। विहियाय पुव्वसेवा, विहिणा संवच्छरं जाव ।। १०१६ ।। उत्तरसेवाए पुणो, कन्नारयणेण एत्थ कायव्वो ।। उवहारो अह दिट्ठा, एसा कन्ना अवंतीए ।। १०१७ ॥ उप्फेरएण विहिया, गयचेयन्ना मए ससत्तीए । एत्थ चियाए हुयासो, नरसेहर ! थंभिओ तह य ।। १०१८ ।। जाए निसाय समए, इह संपत्तो इमाए कन्नाए ।। उवहारं काऊणं, साहिस्समहं धुवं मंतं ।। १०१९ ।। कुमरो जंपइ सुपुरिस ! अलाहि एयाए मंतसिद्धिए ।। Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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