Book Title: Paumappahasami Cariyam
Author(s): Devsuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिपउमप्पहसामिचरियं
मह पुत्तसमागमणे, एयं चिय मंगलं पढमं ॥ १२२१ ।। इय चिंतिय सा जंपइ, वच्छे ! वहुयासि मज्झ तं चेव ॥ सुंदरि ! चिटुंतीए, तुमए तह सुंदरं गेहं ॥ १२२२ ।। इय नियसासूवयणं, सोउं एसा निएहि हत्थेहिं ।। बंधेइ वेणीदंडं, धरेइ तह मंगलाहरणं ।। १२२३ ।। मुंचइ पल्लंकाई, सुणेइ निच्चं समागमकहाओ ।। तह पंथदेवयाओ, पूयइ परमाए भत्तीए ॥ १२२४ ।। दइयसमागममंतं जवेइ अंगीकरेइ अणवरयं ।। गिहिदेवयाण कम्मं, सारसमिहुणं समालिहइ ।। १२२५ ।। कररुहपयाई पिच्छइ, अवलोयइ जमलरुक्खनिउरुंबं ।। अग्घेइ उदयपुरिसं खीणं चंदं न पिच्छेइ ।। १२२६ ।। तह संतिमंडलाइं, करेइ तह वायसाण संघायं ।। उड्डावइ ओवाइयनिवहं वियरेइ तियसाणं ॥ १२२७ ।। तह सासूए समीवे, सुएइ तह विविहसुमिणविज्जाओ ।। परियत्तेइ विउज्झइ, नामं सोऊण दइयस्स ॥ १२२८ ॥ सुविणसमागमलुद्धा, निमीलच्छी सुएइ पुणरुत्तं ।। निय अंगेसु निरूवइ, अविहवनारीण लिंगाणि ।। १२२९ ।। इच्चाइ सा भणंती, इत्तिय कालं गमेइ तणुयंगी ।। तुह आगमणेण मए, संपइ वद्धाविया एसा ॥ १२३० ।। सोउं तुज्झागमणं, तह से अंगेहि विहसियं सहसा ।। जह सम्मं वनेउं सहस्सजीहो वि न वि सक्को ।। १२३१ ।। सयमेव सुहय तत्तो, सुवनलीहाइ मज्झ दाऊण ॥ निय गेहम्मि इमाए, मंगलदामाइनिम्मवियं ।। १२३२ ।। सिरियादेवी पमुहा, सयणा सव्वे वि तुज्झ आगमणं ।। सोऊण तुज्झ मग्गं, हेट्टा चिटुंति पिच्छंता ।। १२३३ ।। इय भद्दमुत्ति कहियं , सोउं सव्वं पि वइयरं सहसा ।।
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