Book Title: Paumappahasami Cariyam
Author(s): Devsuri, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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४८६
॥ इत्यतिथिसंविभागव्रते धनसेन कथा संपूर्णा || एयाणि गिहिवयाई सम्मत्तजुयाणि मोक्खकंखीहिं ॥ पालेयव्वाणि सया, सम्मं अविचलियचित्तेहिं ॥। १२४८ ॥ इय पउमप्पहपहुणा, परूवियं परिसुणित्तु तस्सेव ॥ मूले गिहिधम्मं, बहवे भव्वा पवज्र्ज्जति ॥ १२४९ ।। निच्चं मोहमहंधयारदलणो, मग्गाणमुल्लासणो, नीसेसं परवाइकोसियकुलं निन्नासयंतो सया ॥ बोर्हितो बहुभव्वपंकयवणं, सच्चक्कखेमंकरे लोयालोयपयासनाणकिरणो सूरो व्व भूमंडले सो सत्तुंजयपव्वया भयवं नीसेससत्तुंजओ, वेरुड्डामर - डिंब - चक्कदलणो, खेत्तम्मि सो भारहे ॥ सामी सव्व सुरासुराण सहिओ कोडीहिं पउमप्पहो निस्संबंधपबंधबंधुरतरं, कुज्जा विहारं सया ।। १२५१ ॥ जुयलं पउमप्पहस्स पहुणो परिवारे तिन्नि समणलक्खाणि ॥ तीस सहस्साहियाई लक्खा चत्तारि समणीणं ॥ १२५२ ॥ वीससहस्सेहिं जुया केवलनाणीण बारस सहस्सा ॥ चउदस पुव्वधराणं, तेवीस सयाणि भणियाणि ॥ १२५३ ॥ अवहिन्नाणजुयाणं, दसय सहस्सा समग्गसंखाए । मणपज्जवनाणीणं, दसय सहस्सा सया तिन्नि ।। १२५४ ॥ वेडव्वियलद्धीणं, सोलस सहसा सयं च अट्ठहियं ॥ वाईण नव सहस्सा, सएहिं छहि चेव अब्भहिया ।। १२५५ ।। सावयलक्खा दुन्निय, अहिया छस्सत्तरि सहस्सेहिं ॥ तह सावियाणि लक्खा, पंच सहस्सा तहा पंच ।। १२५६ ।। एकं च पुव्वलक्खं, सोलस पुव्वंगमासछक्केण ॥ ऊणं विहरंतस्स य पहुणो एसो परीवारो ।। १२५७ ।। इय परिवारसमेओ अणेयदेसेसु भवियसंदोहं ||
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सिरिपउमप्पहसामिचरियं
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।। १२५० ।।
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