Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 5
________________ (४) गिणी रे, जोगवे लोग उदार ॥ महा० ॥ ॥ तसु घर अंगज जाणीयें रे, सूरीकंत कुमार ॥ देश वाहन कोगरनो रे,युवराज अधिकार ॥ महा॥ ए॥तिण परदेशी रायने रे, ज्येष्ठ जात वयंस ॥ नामें चित्र ने सारथी रे, राज्य तणो अवतंस ॥ महा ॥१०॥ देश कुणाला जाणीयें रे, तिण अवसर तिणकाल ॥ सावढी नगरी तिहां रे,शफिसमृद्धि विशाल॥महान ॥१॥ कोठग चैत्य तिहांथ रे, जितशत्रु नामें राय॥ राजा परदेशी तणार,अंतवासी कहाय॥महा॥१३॥ ॥दोहा॥ ॥ हवे परदेशी एकदा, तेड्या सारथी चित्र ॥ जित शत्रु पासें पाठव्यो, नेटणुं देश विचित्र ॥१॥ जित शत्रु पासें श्राविया, अनुक्रमें चित्र उदास ॥ कर जोडी सहु नेटणुं, मूक्युं राजापास ॥॥राजास कारी दीये, राजमार्ग श्रावास॥चित्र तिहां जश् ऊत स्या,जोगवे लोग विलास ॥३॥ सर्वगाथा ॥३१॥ ॥ ढाल त्रीजी ॥ राग केदारो गोडी ॥ सुण मेरी सजनी रजनी न जावे रे ॥ ए देशी॥ ॥तिण कालें गुरु श्राव्या केशी रे, पास संतानी मु निगुणदेशी रे॥ति॥१॥जातिसंपन्नाकुलसंपन्ना रे, ब Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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