Book Title: Pardeshi Rajano Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ म॥कि समृद्धि महासुख संपद, उत्तम जननोग म॥१॥कूण ईशाणे तिण नगरीमें, अंबसाल श्रा राम ॥ पादप वृक्ष अशोक शिला पट, सेयराय श्र निराम ३२॥ खामी श्रीमान सुखंकर श्रावी स मोसरे ताम॥ राय प्रमुख सहु परखद वांदी, प्रजुना करे गुणग्राम ॥३॥ हवेण अवसर सुरवर महोटो, सूरियान सुख धाम ॥ सोहम कल्प सजा सुधर्ममें, जोगवे वंबित काम ॥४॥ण अवसर इंण जंबून रतें, अवधे दीग सामि ॥श्रामलकप्पा वन अंबसा ला, संयम तप विश्रामि॥५॥श्रागंबरशुं जिनवर वां दी, धरम सुणी श्रनिराम ॥ सुलनबोधपणुं निजपू बी, करवा नाटक काम ॥६॥ प्रजुनें पूजे पण नवि बोले,जाणीसकल विराम ॥ नाटक करि बत्रीशप्रका रें, पहुता अपणे गम ॥ ७ ॥ श्ण अवसर श्रीगौतम खामी, प्रजुने पूजे श्राम ॥ एहवी शकिलही किम खामी, पूरव जव कुण ग्राम॥ ७॥दीधुं शुं श्राच खामी, शी करणी करी ताम॥श्रारिज वचन सुएयु शुं एहवं, सूधा सद्गुरु पाम ॥ ए ॥ जिनवर श्रीम हावीर प्रत्यें जब, पूजे गोयम एम ॥ तव बोख्या । ईमान गुणोदधि, व्यतिकर कहे सहु जेम ॥ १० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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