Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 2
________________ ॥ श्री वीतरागाय नमः॥ ॥श्रीपरदेशी राजानो रासप्रारंनः॥ ॥ दोहा ॥ ॥ प्रणमी श्रीअरिहंतपय, समरी सिद्ध अनंत॥ थाचारिज उवद्याय वली, साधु सहू लगवंत ॥१॥ शासन नायक समरियें, वरदाई वर्षमान ॥ गुरुगौत मगुण गाश्य, दायक वंबित दान ॥२॥धर्माचार ज धर्मगुरु, मन धरी सुधर्म खाम, जंबू प्रमुख महा यति, समरी श्रुत शुन नाम ॥३॥बीय उवंगेंबूज व्या,रायपसेणी रंग ॥ परदेशी राजा प्रवर, सद्गुरु के शी संग॥४॥रचना ते अधिकारनी, रचवा मुज मन राग॥पण मन वंबित पूरवा,सूधोसदगुरु लाग॥५॥ ॥ ढाल पहेली राग श्राशावरी ॥ चाल वेली नी॥ लढणी श्राख्याननी ॥ ॥ तिणे काले तिणे समें नयरी, श्रामलकप्पा ना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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