Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 4
________________ ॥ ढाल बीजी ॥ राग सारंग॥ ईर आंबा लांब ली रे ॥ ए देशी ॥ ॥ण अवसर इंण जरतमें रे,नामें के यह देश॥ नयरी नाम सेतंबिकारे, वनह आराम प्रदेश॥१॥ महामुनि, सांजलोसूत्र विचार॥श्रीदयाधर्म अधिका र॥ महा ॥ शहां हिंसा नहींय लगार ॥ महा॥ए श्रांकणी ॥ कूण ईसाणे जाणीयें रे, मृगवन नाम उ द्यान ॥ राय प्रदेशी राजीयो रे, अधरमनो अहिग ण ॥ महा ॥२॥ वृत्ति करे पापें करी रे, अधरम रूप श्राचार॥श्रधरम अरथी जाणीयें रे, अधर्म दे खण हार ॥ महा० ॥३॥ हणवु छेद नेदर्बु रे, तिणें करी चंमने रुष ॥ लोहितपाणी साहसी रे, कूड कपट समुज ॥ महा॥४॥शील नहीं व्रतको नहीं रे, निगुणोने निम्मेर ॥ व्रत पौषध उपवासशुं रे, जेहनें पूरुं वैर॥ महा॥५॥ उपद चौपद पशुं पं खीया रे, करवाऊव्यो घात॥अधरम केतु समोसही रे, दया तणी नहीं वात ॥महा०॥६॥ मोटांगें ठे नहीं रे, नहींको विनय विचार॥ रूडी परें न करे कदेंरे, देश तणो व्यवहार ॥ महा॥ ॥ तिण प रदेशी रायने रे, सूरिकंता नारी॥निज प्रिय अनुरा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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