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गध शैली
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(१०) जैसे पाकादि औषधि (१०) उसी प्रकार उच्च धर्म गुणकारी ही है पर ज्वर वाला। बहुत अच्छा है किन्तु जब तक खावे तो हानि ही करेगी। विकार दूर न हो और धारण
करे तो अनर्थ ही होगा, जैसे भोजनादि विषयों में आसक्त रहे और प्रारंभत्यागी हो जावे
तो अनर्थ ही करेगा। व्यापार सम्बन्धी उदाहरण उदाहरण
सिद्धान्त (१) जैसे स्वयंसिद्ध मोतियों (१) उसी प्रकार लेखकगरण से गहना बनाने वाले अपनी स्वयंसिद्ध अक्षरों को अपनी इच्छानुसार विभिन्न प्रकार से इच्छानुसार विभिन्न प्रकार गूंथ मोती गूंथ कर विभिन्न प्रकार के कर विभिन्न प्रकार के ग्रंथ गहने बनाते हैं।
वनाते हैं । (२) जैसे शक्तिहीन, लोभी, (२) उसी प्रकार ईश्वरवादी झूठा वैध यदि रोगी को पाराम यदि भला हो तो ईश्वर का हो तो अपना किया बताता है किया मानता है और बुरा और यदि बुरा हो या मरण हो हो तो अपने कर्मों का फल जाय तो होनहार पर टालता है। कहता है ! (३) कमाने की मंद इच्छा (३) उसी प्रकार मुनि पाहार रखने वाला व्यापारी भी बाजार को निकलते हैं, भोजन की मंद में बैठता है, कमाने की इच्छा इच्छा भी है, पर किसी से भी रखता है, पर किसी से प्रार्थना नहीं करते। सहज ही याचना नहीं करता । यदि नाहक उनकी विधि अनुसार आहार
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मो० मा० प्र०, ४४२ २ वही, १४,१५-१६
३ वही, १५६