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पंडित टोडरमल ; व्यक्तित्व और कर्तृत्व (६) निगल निगग्लिो दुख .. सा चम
निगलिये। (७) चाब चाब जैसे कूकरा हाड़ चाब। (८) बनाना १. बनावै है गूंथि करि गहना बनाये है। २. बनाऊँ हूँ बुद्धि अनुसारि गूंथि ग्रंथ
बनाऊँ हूँ। ३. बनाये तिन ग्रंथनि ते अन्य ग्रंथ बनाये । ४. बनाइये है तातें यह स्तोक सुगम ग्रंथ
बनाइये है। (६) गूंथ १. गूंथे है। अंग्रप्रकीर्णक ग्रंथ गूंथे हैं ।
२. गंधू हौं नाहीं गूंथू हौं । {१०) काढ काढ़िये है मलादिक पबन ते ही काढ़िये है । (११) खोस खोसे कबहूँ खोस । (१२) बनना बने है बाह्य नाना निमित्त बने है । (१३) देख देखिये है विघ्न का नाश होते देखिये है। (१४) पाना साय है अनेक काल विर्षे पूर्व बंधै कर्म
एक कालविर्षे उदय प्राई है। (१५) रह रहेंगे भविष्यकाल में हम सारिखे भी
ज्ञानी न रहेंगे। (१६) कूट कूद है तु कण छोड़ि तुस ही फूट है। (१७) फैलना फैले है सहज ही वाकी किरण फैले है। (१८) लागना लाग है उपयोग बिशेष लागे है। (१६) कुमावना कुमाए बिना कुमाए भी धन देखिए । (२०) मीड़ना मीड़े साँची झूठी दोऊ वस्तुनि कों
मीड़े। (२१) हापटा हापटा मार है बहरि वाको छोड़ि और को ग्नहै, मारना
ऐसे हापटा मार है।