Book Title: Pandita Todarmal Vyaktitva aur Krititva
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 367
________________ ३४० पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कल्य फेरनें करि गमन करेगा। ता ऊपर भी श्रीजी बिराजैगे और भी अनेक तरह की प्रसवारी बगी । इत्यादि श्रद्भुत आश्चर्यकारी सोभा जानूंगे । और सौ दो से कोस के जैनी भाई सर्व संग चरणाय कबीला सुधां श्रावेंगे । श्रर इहां जैनी लोगों का समूह है ही अर माह सुदि दसैँ के दिनि लाखों आदमी अनेक हाथी घोरे पालिकी निसारण अनेक नोबति नगारे आखी' बाजे सहित बडा उचव सूं इन्द्रां करि करी हुई भक्ति ताकी उपमा ने लीयां ता सहित चैत्यालय सूं श्रीजी रथ उपरि बिराजमान होइ वा हाथी के हौदे बिराजमान होई सहर के बारें तेरह द्वीप की रचना वि बि सो फागुण दि ४ तां तहां ही पूजन होयगा वा नित्य शास्त्र का व्याख्यान तत्वां का निर्णय, पठन-पाठन, जागर्ग आदि शुभ कार्य afriई उहां ही होयगा । पीछे श्रीजो चैत्यालय आय बिराजेंगे । तहां पीछे भी देश-देश के जात्री पांच सात दिन पर्यंत और रहेंगे । ईं भांति उच्छ्रव की महिमां जानोंगे। तातें अपने कृतार्थ के प्रथि सर्व देस वा प्रदेस के जैनी भायां कूं श्रगाऊ समाचार दे वाकूं साथि ले संग बराय मुहूर्त्त पहली पांच सात दिन सीघ्र प्रावोगे । एउछन फेरि ई पर्याय में देखणा दुर्लभ हैं । ए कार्य दरबार की आज्ञा सूं हुवा है और ए हुकम हुवा है जो यां पूजाजी के प्रथि जो वस्तु चाहिजे सो ही दरबार सूं ले जायो । सोए बात उचित ही है। ए धर्म राजां का चलाया हो चाले हैं । राजा का सहाय बिना ऐसा महत परम कल्याणरूप कार्यं बर्णे नाही । अर दोन्यूँ दिवान रतनचन्द वा बालचन्द या कार्य विषं श्रग्रेश्वरी है तातें विशेष प्रभावना होइगी । और इहां बड़े-बड़े पूर्व जिन मन्दिर बरतें हैं । सभा विषं गोमट्टसारजी का व्याख्यान होय है । सो बरस दोय तो हूवा अर बरस दोय सांई और होइगा। एह व्याख्यान टोडरमल्लजी करें हैं। और इहां गोमट्टसार ग्रन्थ की हजार अठतीस ३८०००, लब्धिसार 1 सब प्रकार के

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