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पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व और कोई थांक मनविष प्रश्न होय वा संदेह होय ताकी विशुद्धता होयगी । और गोमदृसारादि ग्रंथांकी अनेक अपूर्व चर्चाजानंगे। इहां घणां भायां के गोमटसारादि ग्रंथां का अध्ययन पाईए है ।
और घणी बायां के व्याकरण वा गोमट सारजी की चर्चा का ज्ञान पाईए है। विशेष धर्म बुद्धि है ताका मिलाप होयगा। सारां हो विष माईजी टोडरमलजी के ज्ञान का क्षयोपशम अलोकीक है जो गोमट्टसारादि ग्रंथा की संपालाप लोकटीला मसाई और पांच सात ग्रंथां का टीका बरणायचे का उपाय है। सो प्रायु की अधिकता हुधा बणेगा। पर घयल महापवलावि ग्रंथों के खोलबा का उपाय कीया या उहां बक्षिण वेस पांच सात और ग्रंथ ताड़पत्रां विष कर्णाटी लिपि मैं लिख्या इहां पधारे हैं, ताक मलजी बांच है, धाका यथार्थ ध्याख्यान कर है वा कर्णाटी लिपि मैं लिखि ले हैं। इत्यादि न्याय व्याकरण गणित छंद अलंकार का याकै ज्ञान पाईए है। ऐसे पुरुष महंत बुद्धि का धारक ईकाल विर्ष होनां दुर्लम है। ताते यांसं मिलें सर्व संदेह दूरि होइ है। घरपी लिखबा करि कहा, प्रापरणां हित का बांछीक पुरुष सीध्र प्राय यासं मिलाप करो। और भी देश देश के साधर्मी भाई प्राबैंगे तासू मिलाप होयगा ।
और इहां दश बारा लेखक सदैव सासते जिनवाणी लिखते हैं वा सोधते हैं । और एक ब्राह्मण पंडित महैनदार चाकर राख्या है सो बीस तीस लड़के बालकन कू न्याय व्याकरण गणित शास्त्र पडाव है। और सौ पचास भाई वा बायां चर्चा व्याकरण का अध्ययन कर हैं। नित्य सौ पचास जायगा जिन पूजन होइ है । इत्यादि इहां जिन धर्म की विशेष महिमा जाननी ।
और ई नग विष सात विसन का अभाव है। भावार्थ ई नग्न विष कलाल कसाई वेश्या न पाईए है। अर जीव हिंसा की भी मनाई है। राजा का नाम माधवसिंह है। ताके राज विषै वर्तमान एते कृविसन दरबार की आज्ञात न पाईए है। पर जैनी लोग का समूह बस है । दरबार के मृतसद्दी सर्व जैनी है और साहूकार लोग सर्व जैनी है। जद्यपि और भी है परि गौणता रूप है, मुख्यता रूप नाही । छह सात