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भाषा
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(२०) कह
१. कहिये है।
३. कह्या है (२१) जिराज बिराज है (२२) बंध बंधी थी
तिन सबनि का नाम प्राचार्य कहिये है। कोई कहै है। सोई कहा है। अब सिद्धालय विर्षे बिराज हैं। पूर्वे असाता आदि पाप प्रकृति बंधी थी। द्रव्यानुयोग के ग्रंथ रचे। मोक्षमार्ग प्रकाशक नाम शास्त्र रचिए है। हमारे बुद्धि अनुसार अभ्यास
(२३) रच
१. 'रचे २. रचिए है
(२४) वत्तं
वत है
वत है।
(२५) पाल पाले है अठाईस मूल गुणनिकों अखण्डित
पालें हैं। (२६) सह सहै है बाईस परीषहनि को सहैं हैं । (२७) सम्भव सम्भव है बीतराग विज्ञानभाव सम्भव है। (२८) पोष पोषे है अन्य कार्यनि करि अपनी कषाय
पोषे हैं। (२६) शोभ शोभै ताको बक्तापनों विशेष शोभ । (३०) विचार १. विचार है अंतरंग विर्षे बारंबार विचार है ।
२. विचारों हों टीका करने विचारों हों। (३१) सुन सुन है जिस अर्थ कौं सुने हैं। (३२) अवधार अवधार है ताको यथावद निश्चय जानि
अवधार हैं 1 (३३) प्रकाश प्रकाश है सो यह भी ग्रंथ मोक्षमार्ग कों
प्रकाश है। प्रकाशोंगा बुद्धि अनुसार अर्थ प्रकाशोंगा।