Book Title: Nitivakyamrutam Author(s): Somdevsuri, Ramchandra Malviya Publisher: Chaukhamba VidyabhavanPage 72
________________ मन्त्रिसमुद्देशः स्वतन्त्र व्यक्ति, प्रसङ्गानुसार, मन्त्रियों से परामर्श न लेकर एकाएक कार्य करने वाला राजा अपना सर्वनाश कर बैठता है। आलसी की अयोग्यताअलसः सर्वकर्मणामनधिकारी // 143 / / आमसी व्यक्ति समस्त प्रकार के कार्यों के अयोग्य होता है। प्रमाद का दोष(प्रमादवान् भवत्यवश्यं विद्विषां वशः // 144 // प्रमादी अर्थात् असावधान रहने वाला निश्चय ही शत्रु के वश में आ जाता है। ___ अनुकल को प्रतिकूल न करने का उपदेश कमप्यात्मनोऽनुकूलं प्रतिकूलं न कुर्यात् / / 145 // जो व्यक्ति अपने अनुकूल रहता हो या हो ऐसे किसी एक भी व्यक्ति को प्रतिकूल न होने दे। गुप्त भेद की रक्षा की आवश्यकता(प्राणादपि प्रत्यवायो रक्षितव्यः / / 146 / / प्राण से भी अधिक गुप्त भेद की रक्षा करनी चाहिये / ) गुप्त बात का फूटना तरह-तरह के विघ्न उत्पन्न करता है अतः यहां विघ्नवाचक प्रत्यवाय शब्द का 'गुप्त रहस्य' अर्थ करना उचित है। अपनी शक्ति समझने की आवश्यकताआत्मशक्तिमजानतो विग्रहः क्षयकाले कीटिकानां पक्षोत्थानमिव // 147 // अपनी शक्ति का अनुमान न करके वैर ठान लेना मरते समय चीटियों और फतिङ्गों को पर. निकलने के समान है। .. . शत्रु से सद्व्यवहार की अवधि कालमंलभमानोऽपकर्तरि साधु वर्तेत // 148 // - अपने अनुकूल समय न पाकर मनुष्य को अपने अपकारी अथवा शत्रु के प्रति सद्व्यवहार करते रहना चाहिए। . दृष्टान्त(किन्नु खलु लोको न वहति मूर्ना दग्धुमिन्धनम् / / 146 // जलाने वाली लकड़ी को क्या लोग शिर,पर नहीं ढोते ?) दृष्टान्तनदीरयस्तरूणामधीन क्षालयन्नप्युन्मूलयति / / 150 //Page Navigation
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