________________ स्वामिसमुद्देशः 11 समस्त लोकपाळ राजा का अनुसरण करते हैं / अतः मध्यम श्रेणी का भी राजा उत्तम लोकपाल कहा जाता है। __राजसहायता के अधिकारी(अव्यसनेन क्षीणधनान् मूलधनप्रदानेन कुटुम्बिनः प्रतिसंभावयेत // 53 / / . द्यूत, मद्यपान आदि किसी व्यसन के कारण नहीं, किन्तु अन्य किसी कारण से अर्थात् चोरी, व्यापारिक घाटा आदि से जिनका धन नष्ट हो गया हो ऐसे कुटुम्बियों को राजा मूलधन-पूजी के निमित्त धन प्रदान कर समा. हत करे। राजा का कुटुम्ब और कलत्र(राज्ञो हि समुद्रावधिर्मही स्वकुटुम्बम् , कलत्राणि तु वंशवर्धनक्षेत्राणि / / 54 // समुद्रपर्यन्त पृथ्वी राजा का अपना कुटुम्ब है और उसके उर्वर खेत उसका वंशवर्धन करनेवाले कलत्र हैं। भेंट और उपहार के विषय में राजा का कर्तव्य(अर्थिनामुपायनमप्रतिकुर्वाणो न कुर्यात् / / 55 / / उपकार न कर सके तो राजा कार्यार्थियों की भेंट न स्वीकार करे। हास-उपहास के नियम- आगन्तुकैरसहनैश्च सह नर्म न कुर्यात् / / 56 / / ) अपरिचित और असहिष्णु व्यक्तियों के साथ परिहास-हंसी मजाकन करे। बड़ों से संभाषण का नियम (पूज्यैः सह नाधिरुह्य वदेत् / / 57 / / / आदरणीय व्यक्तियों के साथ कुर्सी पलंग आदि किसी आसन पर चढ़कर बातें न करें। - झूठी आशा देना अनुचितभृत्यमशक्यमप्रयोजनं च जनं नाशया क्लेशयेत् / / 58 / / / असमर्थ, सेवक और निःस्वार्थ व्यक्ति को झूठी आशा देकर पीडित न करे। दासता और धनपुरुषो हि न पुरुषस्य दासः किन्तु धनस्य // 56 / / पुरुष पुरुष का दास नहीं होता किन्तु धन का दास होता है। यही बात महाभारत के भीष्मपर्व में भीष्म ने युधिष्ठिर से कही है।