Book Title: Niti Dipak Shatak Author(s): Bhairodan Jethmal Sethiya Publisher: Bhairodan Jethmal Sethiya View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेटिवाग्रन्थमाला खिल जाता है,उल्लूस्वरूप पापी लोग अन्धे हो जाते हैं तथा खेद को प्राप्त होते हैं, और मोह अभिमान रूपकुमुद पुष्प तत्काल मुआ जाता है।॥६॥ खर्गस्तत्सदनाङ्गणे सहचरी साम्राज्यसम्पन्मुदा, युक्ता तत्तनुमन्दिरे गुणगणा राजन्ति मान्या बुधैः । मोक्षश्रीः करगा भवस्तु सुतरस्तत्सन्निधौ लब्धयो, यः शुद्धेन हृदाम्बुजेन विधिना भक्तिं करोत्यहताम्॥१०॥ ___ जो मनुष्य शुद्ध हृदय- कमल से विधिपूर्वक अरिहन्त देव की भक्ति करता है, उसके स्वर्ग, घरके आंगन समान निकट है । राज्यलक्ष्मी हर्षपूर्वक उस पुरुष के साथ साथ गमन करती है। विद्वानों से आदर करने योग्य गुण इकट्ठे होकर उसके शरीर को अपना घर बनालेते हैं, मोक्षलक्ष्मी हथेली में रखीहुई वस्तुके समान हो जाती है । वह पुरुष संसारको मुखपूर्वक तिरता है, तथा द्धिया उसके पास बनी रहती हैं ॥१०॥ जिनपूजा का महात्म्यनातङ्कोऽस्य कदापि याति सदनं भूपस्य चाण्डालव दारिद्रयं बहुदरतस्तिमिरवदृष्ट्वा रविं नश्यति । एनं प्रोज्झति दुर्गतिश्च कुदशा दुष्टेव स्वीयं पति, यः सर्वार्पणरूपपूजन विधि भावाद्विधत्ते जिने ॥११॥ जो मनुष्य सब वस्तुओं का अर्पण करके जिनेन्द्र भगवान् की पूजा भाव से करते हैं, उन के घर में कभी रोग संताप प्रवेश नहीं करता है; जैसे राजा के घर में चाण्डाल प्रवेश नहीं कर पाता है । For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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