Book Title: Niti Dipak Shatak
Author(s): Bhairodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bhairodan Jethmal Sethiya

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सठियाग्रन्थमाला www.kobatirth.org ܐ ܀ ( Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरों को भी चलाते हैं । सम्यग्ज्ञान द्वारा स्वयं संसारसमुद्र से पार होते हैं, और दूसरों को भी अतिप्रेम से पार करते हैं। जो शांतचित्त निर्लोभी दयालु निर्भीक तथा उत्तमगुणों से भूषित हैं, वे ही संसार से पार करने वाले सद्गुरु हैं। आत्महितेच्छुओं को ऐसे गुरुओं की सेवा करनी चाहिये ॥ १३ ॥ सर्वो नाशयते कुबुद्धिमचलां शास्त्राणि संश्रावय-न्भूयः सद्गतिदुर्गती शुभमनाः संदर्शयत्यादृतः । कृत्याकृत्यविभेदकृच्छिवपथं स्पष्टुं व्यनक्ति स्वयं, संसाराम्बुधिपोत एव स गुरुर्नान्योऽस्ति कश्चित्ततः ।। १४ ।। गुरु शास्त्र सुनाकर आत्मा के सुदृढ़ मिथ्याज्ञान को दूर करते हैं। प्रेमपूर्वक शुद्धहृदय से सद्गति और दुर्गति के स्वरूप को दिखाते हैं । कर्त्तव्य तथा अकर्त्तव्य का भेद दिखाकर मांक्षमार्ग का स्पष्ट व्यारव्यान करते हैं। ऐसे ही गुरु संसार समुद्र से पारकरने के लिए जहाज के समान हैं, दूसरे नहीं ॥ १४ ॥ मायायत्तहृदः कुबुद्धिकुटिलव्यापार पूर्णादरा दारापत्यधनादिमुग्धमनसः संसारिणोऽसज्जनाः । दुर्वारे नरकान्धकूपकुहरे पापैः पतन्त्यंजसा, तानुद्धर्तुमलं न कोऽपि चतुरः शान्तं विना सद्गुरुम् | १५ | For Private And Personal Use Only

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