Book Title: Niti Dipak Shatak
Author(s): Bhairodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bhairodan Jethmal Sethiya

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीतिदीपिका मायाचारी दुर्बुद्धि बुरे कामों में तत्पर, स्त्री पुत्र धनादिक में अत्यन्त आमुक्त दुर्जन मनुष्य, पाप उपार्जन करके नरकरूप भयानक अन्धे कुए में अवश्य पतन करते हैं। उनका उद्धार करने के लिए शान्तस्वभावी सद्गुरु के सिवा दूसरा कोई समर्थ नहीं है ॥१५॥ ___ गुरु की आज्ञा का महात्म्य : किं त्यागेन कपायितेन सततं ध्यानेन किं धर्मतः, किं वा भावनया तयाऽक्षदमनैः सत्सङ्गमैः किं फलम्। शुद्धं शासनमन्तरा वरगुरोः संसारनिर्णाशकं, कारुण्यामृतपूरपूरितहृदः सर्वार्थसंदर्शिनः ॥ १६ ॥ जिसका हृदय करुणा रूपी अमृत से परिपूरित है, और जो सम्पूर्ण जीवों को हितकारी उपदेश देते हैं, ऐसे सुगुरु की आज्ञा का पालन करने से संसार का नाश होता है । गुरु की आज्ञा का पालन किये विना क्रोधादि कषाय का त्याग करना, निरन्तर ध्यान भग्ना, धर्म का पालन करना, शुभ भावना भाना, इन्द्रियों का दमन करना, तथा सत्पुरुषों की सङ्गति करना सब निष्फल है ॥ १६ ॥ _जिनागम की महिमासत्यासत्यविचारणां शुभतरां कत्तु समर्था न ते, तत्त्वातत्त्वपृथकृति गुणवती ते नो विधातुं क्षमाः। कार्याकार्यगुणागुणं स्वमनला जानन्ति नो ते जना ये युत्यङ्कितवीतरागवचनं शृण्वन्ति नोश्रद्धया ॥१७॥ For Private And Personal Use Only

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