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कठोपनिषद् बताता है कि यज्ञ का आयोजन इसलिए किया जाता है ताकि यज्ञ के बहाने अन्य लोगों की मदद हो जाए । बग़ैर दान यज्ञ पूर्ण नहीं कहलाता और दान भी श्रेष्ठ वस्तु का किया जाना चाहिए । केवल घी की आहुति से यज्ञ पूरा नहीं होता । मंत्रोच्चार के बाद दान किया जाता है । राजा बलि ने यज्ञ किया, तो उन्होंने भी दान दिया । दानवीर कर्ण ने सुरक्षा कवच के रूप में जन्म से ही शरीर के अंग के रूप में मिले कर्ण - कुण्डल दान में दे दिए थे। दान देते समय दान की वस्तु का मूल्य नहीं होता । दान की भावना देखी जाती है । भारत की आज़ादी के लिए एक बुढ़िया ने अपने जीवन भर की मात्र सोलह आने की पूंजी संपूर्णत: दान में दे दी, वहीं किसी सेठ - साहूकार ने हजारों-लाखों के नोट दिए । दान दोनों का ही महत्त्वपूर्ण है। दान देते समय केवल एक ही बात का ध्यान रखो कि जो दिया जाए, वह तुम्हारी श्रेष्ठतम चीजों में एक हो । इतिहास उन्हीं की गाथा गाया करता है, जो अपना श्रेष्ठतम दान देने का साहस रखते हैं ।
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दान मानवतावादी धर्म का ही दूसरा रूप है। दान से दीन-दुखियों की मदद हो जाती है। महावीर ने संन्यास लिया तो, उससे पहले 365 दिन तक, पूरे एक साल तक दान देते रहे । याचकों और ग़रीबों को रोज़ कुछ-न-कुछ देते रहे । एक गृहस्थ के लिए सबसे सरल कोई धर्म है तो वह है दान । ईश्वर से या तो कुछ माँगो मत और माँगो तो इस तरह कि हे प्रभु, मुझे इतना देना ताकि मैं उसमें से कुछ हिस्सा दान अवश्य कर सकूँ ।
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दान का मतलब है देना; जो देता है, वह देवता कहलाता है । जो लेता है, वह लेवता कहलाता है । जो न लेता है, न देता है, वह हाथ मसलू कहलाता है । आज तक कोई भी व्यक्ति धरती से गया, तो अपने साथ कुछ नहीं ले गया । सबका सब-कुछ यहीं रह गया । पीछे वाले के लिए छोड़कर जाने की सोचते हो, तो मैं आपसे इतना जरूर पूछना चाहूँगा कि आपके जो पीछे हैं, क्या वे अपाहिज हैं, जिनके लिए आपको छोड़कर जाना पड़ रहा है ? कपूत के लिए छोड़कर भी जाओगे, तो कौड़ी-कौड़ी जोड़कर रखे धन को बड़ी बेदर्दी से लुटा देगा, क्योंकि उसने कभी कमाने का दर्द उठाया ही नही । अगर तुम्हारी संतान सपूत है, तो सपूतों के लिए क्या छोड़कर जाना, वे तो खुद अपने बलबूते ख़ुद भी धनवान हो जाएँगे और तुम्हें भी गौरवान्वित कर देंगे ।
मेरी मानो तो आपके पास जो कुछ है, वह सारा का सारा अपने बेटे-बेटियों के लिए मत छोड़ जाना । अपने जीते-जी कुछ धर्मार्थ और पुण्यार्थ भी कर लेना। तुम्हारे मरने के बाद पीछे कोई कुछ करेगा, यह उमीद भी मत रखना ।
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