Book Title: Mrutyu Se Mulakat
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 180
________________ नचिकेता पूछते हैं, हे मृत्युदेव! ऐसा कौन-सा तत्त्व है जो भूत, वर्तमान और भविष्य से परे है। धर्म-अधर्म से परे है। कठोपनिषद् की भाषा में यमराज कहते हैं, सारे वेद जिस पद का वर्णन करते हैं, समस्त तपों को जिसकी प्राप्ति के साधन कहते हैं, जिसकी इच्छा करने वाले ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, उस पद को मैं तुम्हें संक्षेप में कहता हूँ। यमराज ने तब एक रहस्य उद्घाटित किया कि एक ॐकार सतनाम, नानक कहते हैं, उस सत्य, पराशक्ति का नाम है ओम् । पतंजलि ने कहा, तस्य वाचक: प्रणवः, ईश्वर ही परमशक्ति है, ईश्वर का वाचक है ॐ । मैंने जितना भारतीय संस्कृति को समझा है, संसार में ध्वनि, पराध्वनि या कोई मंत्र है तो वह ॐ ही है। यह ऐसा शब्द है जिसमें सारे अक्षर समाए हैं। गीता में जब भी भगवान से पूछा जाता है कि अपना स्वरूप समझाइए, तो वह कहते हैं, मैं एक हूँ, मैं ही ॐ हूँ। यह ऐसा अक्षर है, जिसका कभी क्षय नहीं होता। भारतीय अध्यात्म संस्कृति का एक ही प्रतीक है और वह है ॐ । चार मुँह वाला हमारे देश का प्रतीक चिह्न, अशोक स्तम्भ को याद करें। इसमें चार शेर हैं, बीच में चक्र है। उसमें ॐ लिखा है। ॐ अध्यात्म का प्रतीक है और चक्र संसार में जीने के लिए गति का प्रतीक। अशोक का चक्र हो या भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र, ये सब गति के परिचायक हैं। जिस प्रकार दो स्थानों को जोड़ने वाला रामसेतु है, उसी तरह ओम् आत्मा-परमात्मा को जोड़ने वाला सेतु है। परमात्मा से कैसे जुड़ें, ॐ का चिंतन करें, ॐ की साधना करें। ॐकार की साधना चैतन्य-ध्यान के लिए आवश्यक है। सामान्य व्यक्ति ध्यान करने बैठेगा, तो मन नहीं लगेगा। ऐसे में श्वासोश्वास के साथ ॐ का उच्चारण करें, स्मरण करें। ॐकारेश्वर यानी ओम् में रहने वाला ईश्वर । ध्यान में मन नहीं लगे तो सात दिन पन्द्रह मिनट ॐ का घोष करें, नाद करें, महानाद करें। यह उद्घोष, नाद, हमारी चेतना के आभामंडल को जगा देगा। ॐ के नाद से छोटे या बड़े, सभी तरह के पापियों के अंतर्मन की दशा भी सुधरने लग जाती है। कोई आंतकवादी-पापी भी सुबह-शाम ॐ का नाद करता चला जाए, तो उसके जीवन में इसके सकारात्मक परिणाम आने लगेंगे। उसकी अंतश्चेतना पर, उसकी आत्मा पर इसका प्रभाव पडेगा। प्रभु के प्रति लौ जलने लगेगी। ॐ सारे वेदों का वेद है, सारे शास्त्रों का शास्त्र है। एक ॐ में सारे संसार के यम, नियम, तप समाहित हैं। सारे संसार का ज्ञान, दैवीय शक्ति को आह्वान करने की शक्ति ॐ में है। अपने गले में ॐ का लाकेट पहन लें, मकान के बाहर एक ही शब्द लिखें, ॐ । इसके बाद ऊपर वाला अपने आप सम्भाल लेगा। आप पर किसी तरह का ग्रहदोष या वास्तुदोष प्रभावी नहीं होगा। 179 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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