Book Title: Marankandika
Author(s): Amitgati Acharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Shrutoday Trust Udaipur

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Page 7
________________ ! T 1 इस ग्रन्थ के लेखन कार्य से मुझे अत्यधिक सम्बल मिला। अनेक बार तो ऐसा अनुभव हुआ कि परम पूज्य निर्यापकाचार्य गुरु समक्ष बैठकर ही मानों मार्गदर्शन कर रहे हैं। शास्त्रलेखन का जो यथार्थ मूल्य है वह तो मुझे लेखनकार्य करते समय ही अनेक बार प्राप्त हो चुका है क्योंकि परिणामों की निर्मलता और कर्तव्यनिष्ठा की जो अनुभूति उस समय हुई वह अमूल्य तथा वचनातीत है । ग्रन्थ के प्रतिपाद्य विषय की संक्षिप्त सूचना : +9+ मरणकण्डिका ग्रन्थ में आचार्यदेव ने सर्व प्रथम २७ श्लोकों द्वारा पीठिका लिखी है, जिसमें मंगलाचरण, आराधना का लक्षण, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक् चारित्र और सम्यक् तप के भेद से आराधना के चार प्रकार, इन चारों का दो आराधनाओं में समावेश तथा इन आराधनाओं की सिद्धि के लिए द्योतन, मिश्रण, सिद्धि, व्यूदि एवं निर्व्यूढ़ ये पाँच हेतु कहे हैं। १. बाल - मरणाधिकार : इस अधिकार के प्रारम्भ में ही कहा गया है कि आगम में सत्रह प्रकार के मरण कहे गये हैं, उनमें से मैं यहाँ १. पण्डित पण्डित मरण अर्थात् निर्वाणप्राप्ति, २. पण्डितमरण, ३. बालपण्डित मरण, ४. बाल मरण और ५. बाल-बाल मरण, इन पाँच मरणों का संक्षिप्त वर्णन करूँगा । १. आवीचिमरण २. तदुद्भवमरण ३. अवधि मरण ४. आदि-अन्तमरण ८. बालपण्डित मरण ९. सशल्यमरण १०. बलाका मरण ११. वोसट्ट मरण १२. विप्पाणस मरण १३. गिद्धपुङ मरण १४. भक्तप्रत्याख्यान मरण १५. प्रायोपगमनमरण १६. इंगिनी मरण १७. पण्डित - पण्डित मरण या केवली मरण ५. बाल मरण ६. पण्डित मरण ७. अवसन्न मरण इन सत्रह प्रकार के मरणों में से बाल मरण, बाल पण्डित मरण, पण्डित मरण और पण्डित - पण्डित मरण इन चार का ग्रहण किया गया है । बाल-बाल मरण का बालमरण में ही अन्तर्भाव हो जाता है अतः उसका नाम सत्रह में नहीं आया है। इस अधिकार में पाँच प्रकार के मरणों के स्वामी, पण्डित मरण के तीन भेद और सम्यक्त्व आराधना का वर्णन किया गया है। २. बाल-बाल मरणाधिकार - इस अधिकार में दश श्लोकों के द्वारा इस मरण के लक्षणादि कहे गये हैं। - ३. भक्तप्रत्याख्यानमरणाधिकार इस अधिकार में अर्ह, लिंग तथा शिक्षा आदि चालीस अधिकारों का वर्णन है । इन चालीस अधिकारों को कतिपय अधिकारों का समूह बना कर कुल सात अधिकारों में विभक्त कर दिया गया है।

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