Book Title: Mantungacharya aur unke Stotra
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ भूमिका १२. "भक्तामरस्तोत्र", अनेकान्त, २.१, नई दिल्ली १९३९, पृ० ६९-७२. १३. सागर समाधान, भाग २, दूसरी आवृत्ति, श्री जैन पुस्तक प्रचारक संस्था, सुरत वि० सं० २०२८ (ई० स० १९७२), पृ० २८६-२८८. १४. “दिगम्बर शास्त्र कैसे बने ? प्रकरण २१ आ० श्री मानतुंगसूरि", श्री जैन सत्य प्रकाश, पु० २ अंक ९, अहमदाबाद १९३७, पृ० ५१७-५१८, तथा “श्री भक्तामर स्तोत्र", (गुजराती), श्री जैन सत्य प्रकाश, वर्ष ८ अंक ९, अहमदाबाद १९४२, पृ० २५-२८.१५. १५. जैन परंपरानो इतिहास [भाग बीजो], (गुजराती), श्रीचारित्रस्मारक ग्रन्थमाला ग्रं० ५४, अहमदाबाद १९६०, पृ० ७-८. १६. "प्रस्तावना", (गुजराती), जैन स्तोत्र सन्दोह, द्वितीय भाग, अहमदाबाद १९३६, पृ० १२-१४. १७. “भक्तामर-स्तोत्र के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ ?" श्रमण, वर्ष २१, अंक १०, वाराणसी अगस्त १९७०, पृ० २७-३१ ; तथा "भक्तामर स्तोत्र के पाद-पूर्तिरूप स्तव-काव्य", श्रमण, वर्ष २१, अंक ११, वाराणसी सितम्बर १९७०, पृ० २५-२९; और "भक्तामर स्तोत्र के ४-४ अतिरिक्त पद्य". जैन संदेश, भाग ४१. संख्या ४०, मथुरा फरवरी १९७१, पृ० १९९-२०२. १८. "भक्तामरस्तोत्र", जैन निबन्ध रत्नावलि, श्री वीर शासन संघ, कलकत्ता १९६६, पृ० ३३४-३४२, और वहाँ ___ “परिशिष्ट', पृ० ४३७-४३८. १९. “आचार्य मानतुङ्ग", अनेकान्त,१८-६, फेब्रु० १९६६, पृ० २४२-२४७; तथा संस्कृत साहित्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, दिल्ली १९७१ और "कवीश्वर मानतुङ्ग", (हिन्दी), भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाङ्मय का अवदान, (प्रथम खण्ड), सागर १९८२, पृ० २११-२१८. २०. "प्रस्तावना", भक्तामर-स्तोत्रम्, द्वितीय संस्करण, वाराणसी १९६९. २१. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ६, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला :२०:, वाराणसी १९७३, पृ० ५६९ ५७०. २२. “प्रस्तावना", सचित्र भक्तामर रहस्य, सं० कमलकुमार जैन शास्त्री 'कुमुद', दिल्ली १९७७, पृ० १८-४०. २३. भक्तामर-रहस्य, जैन साहित्य प्रकाशन मंदिर, मुंबई १९७१, पृ० ३२-४३. २४. उपर्युक्त ग्रन्थ, “प्रस्तावना", पृ० १३-२४ तथा वहीं पंचम खंड अंतर्गत “काव्य समीक्षा आदि", पृ० ३८७-४०८. २५. “भक्तामर स्तोत्र - केटलाक प्रश्नो", (गुजराती), प्रबुद्ध जीवन, मुंबई १६-४-'८७, पृ० २०३-२०६. २६. सं० जिनविजय मुनि, (प्रथम भाग-मूल ग्रन्थ), सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक १३, तदन्तर्गत "मानतुंग चरितम्" अहमदाबाद-कलकत्ता १९४०, पृ० ११२-११७. २७. सं० जिनविजयमुनि, प्रथम भाग, वहाँ "मानतुंगाचार्य प्रबन्ध", सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक १, शान्तिनिकेतन १९३३, पृ० ४४-४५. २८. कापड़िया, भक्तामर०, पृ. २-५. २९. सं० जिनविजय मुनि, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक २, वहाँ "श्री मानतुङ्गाचार्य प्रबन्ध",कलकत्ता १९३६, पृ० १५-१६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154