Book Title: Mantungacharya aur unke Stotra
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 143
________________ १२६ मानतुंगाचार्य और उनके स्तोत्र एवं महाभयहरं पार्श्वजिनेन्द्रस्य संस्तवमुदारम् । भविकजनानन्दकरं कल्याणपरम्परानिधानम् ।। रायभय-जक्ख-रक्खस-कुसुमिण-दुस्सउण-रिक्खपीडासु । संझासु दोसुपंथे उवसग्गे तह य रयणीसु ।।२०।। राजभय-यक्ष-राक्षस-कुस्वप्न दुःशकुन-ऋक्षपीडासु । सध्ययो: द्वयोः पथि उपसर्गे तथा च रजनीषु ।। जो पठति जो अनिसुणइ ताणं कइणो य माणतुंगस्स । पासो पावं पसमेउ, सयलभुवणच्चियचलणो ।।२१।। य: पठति यश्च निश्रृणोति तयोः कवेश्च मानतुङ्गस्य । पार्श्व: पापं प्रशमयतु सकलभुवनार्चितचरण: ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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