Book Title: Mantungacharya aur unke Stotra
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre
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भूमिका
श्रीमन्नम्रसुरासुरेन्द्रमुकुटप्रद्योतरत्नप्रभा ।
भास्वतपादनखेंदवः प्रवचनांभोधरस्थायिनः ।। ई) कुमारपाल कृत आत्मगस्तिोत्र (प्राय: ई० ११६०-११७०)
नम्राखिलाखण्डलमौलिरत्न
रश्मिच्छटापल्लवितांघ्रिपीठ विध्वस्त विश्वव्यसन प्रबन्ध त्रिलोकवन्द्यो जयताजिनेन्द्र ।।१।।
- जै० स्तो० सं० भाग १, पृ० २७ उ) अज्ञात कर्तृक शत्रुजय-चतुष्क (प्राय: १२वीं शती)
आनन्दनम्रकप्रत्रिदशपतिशिरः स्फारकोटीरकोटीप्रेडन् माणिक्यमाला शुचिरुचिलहरी धौतपादारविन्दम् । आद्यं तीर्थाधिराज भुवनभवभृतां कर्ममर्मापहारं वन्दे शत्रुञ्जयाख्यं क्षितिधर कमलाकण्ठशृङ्गारहारम् ।।१।।
- स्तु० त० भाग २, पृ० १४१, १४२ ऊ) निर्नामक कर्तृक चतुर्विशतिजिनस्तुति (प्राय: १४वीं-१५वीं शती)
आनन्दसुन्दर पुरन्दर नम्रमौलि मौलिप्रभा समित(सहित) धौतपदारविन्दः श्री नाभिवंशजलराशि निशीथिनीश: श्रेयः श्रियं प्रथयतु प्रथमोजिनेश: ।।१।।
- स्तु० त० भाग ३, पृ० ३०२ ए) तपागच्छीय सोमसुंदरसूरि-शिष्य विरचित चतुर्विंशतिस्तोत्र (प्राय: ईस्वी १४२५-१४५०)
आनन्द नम्र सुरनायक नाभिजात भक्ताङ्गि सङ्घटित दिव्यंकु नाभिजातः ।। चित्तं ममेश ! भवभञ्जनाभिजाऽऽत । कस्त्वां शिवेच्छुरभिवाञ्छति नाभिजात ।।१।।
- स्तु० त० भाग २, पृ० १४१-१४२ ऐ) अज्ञात कर्तृक स्तुति (प्राय: १५वीं-१६वीं शताब्दी)
भक्तामरेन्द्र नत पङ्कजमुद्विकार श्री वीतरागमजमाप्तमुदारतारम् । तीर्थेश्वरं स्वबलनिर्जितकर्मसारं शान्तिं स्तुवे स्मरवितान विनाशकारम् ।।१।।
- स्तु० त० भाग ३, पृ० ८० ओ) तपागच्छीय हेमहंस गणि स्तुति (प्राय: १५वौं शतक)
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