Book Title: Mahavira Meri Drushti me
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Jivan Jagruti Andolan Prakashan Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ( viii ) महावीर की यह देन बिल्कुल अनोखी है। इस ओर न जोसस ने, न बुद्ध ने, न जरथुस ने, न मुहम्मद ने, न किसी दूसरे महामानव ने कोई मार्ग बताया है। अनुभूति की पूर्णता को कोई व्यक्ति प्राप्त हुए हैं मगर अभिव्यक्ति की पूर्णता महावीर को ही उपलब्ध हुई है। महावीर की शाखा सूम गई है। शाखा सूख जाती है तो भी वृक्ष खड़ा रहता है। वह फिर से फूट सकता है, यदि महावीर को ठीक से समझा जा सके । फिर नये अंकुर आ सकते हैं इसमें और नये अंकुर जाने चाहिए। भगवान् श्री का यह ग्राथ इस दिशा में ही एक चरण है । - दयानन्द भार्गव रामजस कालेज, दिल्ली । १२-७-१९१७

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 671