Book Title: Mahabandho Part 3 Author(s): Bhutbali, Fulchandra Jain Shastri Publisher: Bharatiya GyanpithPage 13
________________ महाबन्ध विषय पृष्ठ विषय पृष्ठ ३६१-३६३ ३६०-३६४ ३६४-३६५ ३६५-३६७ ३६७ ३८० क्षेत्र नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचयानुगम भागाभागानुगम परिमाणानुगम क्षेत्रानुगम स्पर्शनानुगम कालानुगम अन्तगर्नुगम भावानुगम अल्पबहुत्वानुगम पदनिक्षेप पदनिक्षेपके तीन अनुयोगद्वार समुत्कीर्तना स्वामित्व स्वामित्वके दो भेद उत्कृष्ट स्वामित्व जघन्य स्वामित्व जघन्योत्कृष्ट स्वामित्व अल्पबहुत्व अल्पबहुत्वके दो भेद उत्कृष्ट अल्पबहुत्व जघन्य अल्पबहुत्व वृद्धिबन्ध वृद्धिबन्धके १३ अनुयोगदार समुत्कीर्तना ३८०-३८५ ३८५ ३८५.३६३ ३६४ १६४ ३६४ ३६५-४०३ ३६५ ३६५-३६८ ३६८-४०२ ४०२-४०३ ४०३-४०४ ४०३ ४.३-४०४ ४०४ स्वामित्व ४०६-४१६ काल ४१७-४१८ अन्तर ४१८-४४४ नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय ४४५-४४६ भागाभाग ४४६-४४० परिमाण ४४८-४५२ ४५३.४५५ स्पशन ४५१-४७३ काल अन्तर भाव अल्पबहुत्व ४७३.४८५ श्रध्यवसान समुदाहार ४८५ अध्यवसान समुदाहारके तीन भेद ४८५ प्रकृति समुदाहार ४८६ प्रकृति समुदाहारके दो भेद ४६ प्रमाणानुगम ४८६ अल्पबहुत्व ४८६-४६४ जीवोंके दो भेद ४८६ अल्पबहुत्वके दो भेद स्वस्थान अल्पबहुत्व ४८६-४६२ परस्थान अल्पबहुत ४६२-४६४ ४०४ ४०५-४०६ जीवसमुदाहार ४६४.४६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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