Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ जाली हो जो करे हाथे तापणो ॥१॥मन मेले मरे जेह,खून करो कहो तेहनो हो केहनी पासे लीजीए॥ जाण्यो जे विष खाय,उलंनो अवनीमां हो केहने माथे दीजीए ॥२॥धेनु दोहीने फुध, मननी को मोजे हो पाये जो मंजारने॥तो केहने करीए राव, मावित्र बजारे हो वेचे ज्यारे दारने ॥३॥ नमर लीए जो जोग,वामी माहे फरतां हो विनोदे बहुविध फूलनो॥ तो केणे वो जाय, गणिकाशुंए दावो हो जोतां ले ए शूलनो॥४॥ गोल वोहोरानी वेठ, सहु करे मन होशे हो मुख मी करवा सही॥चावंतां कुलवट्ट,अमे पण विण गुन्हे हो केहने दमाये नहीं ॥५॥ उलंजानी पेर, जोतां शं नथी जमती हो तोपण चालो जोए ॥ वयण जो माने वेश, तो कुंअरने बोमावी हो कुःख तमारं खोए ॥६॥ एम कही अवनीश, परिकर लेश्ने हो पोहोतो गणिका बारणे ॥ नरी सोनैये थाल,सुंदरी ते सामी हो आवी मलवा कारणे ॥ ७॥ मुख बागल धरी नेट, मुजरो ते करीने हो कर जोमी बागल रही॥ थाल ते पाडो ठेल,वसुधापति आदेशे हो वजीरे वाणी कही ॥७॥ मनमान्या करो मित्र, मेहेर करीने हो मेहेलो वारो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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