Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 30
________________ (३०) रोज मले मनमेले ॥ए ॥ नानी आपे मोहोर,प्रगट दीए पीरोजी ॥ हैये राखी होर,महेतोजी मनमोजी ॥१०॥ ए कही चौदमी ढाल, उदयरतन उद्बासे॥ सुणी त्रिय वयण रसाल,धन्य जे न पड़े पासे ॥१९॥ ॥दोहा सोरठी रागमां ॥ । ॥ वयण नयण विलास, सुरनी परे करतां सही। बार वरष षट् मास, वोली गयां आशा वशे ॥१॥ बाथनो आव्यो बेह, वेश्या कहे तव वबहा ॥ श्रापणी वेरण एह, लखमी सर्व बीधी हरी ॥॥ वारु मोहनवेल, ए पासे दीसे अ॥ रुमी रूपारेल, दहीं साटे करी ए वयण ॥३॥ ॥ ढाल पन्नरमी ॥ सोरठी चाले ॥ ॥एम वात करे ने जेहवे,सबूषी आची तिहां तेहवे ॥ शिरदेश महिनीमटकी,त्यारे कामसेना कहे त्रटकी ॥१॥महिनीमाती महियारी,हुं तोतुजागले हारी॥ बांयमो जोती गर्व गहेली, वारतां आबे केम वहेली पशादही सादे तेंघर माहारुं, टीजरीयुं घर ताहारुं॥ ताहारी आंखमी कामणगारी,तुं तोदीसे डेवमीधूतारी॥३॥ आज महेतोजी उधारे, मटकी मागे तुज द्वारे॥ देशू दिन चोथे दाम, मनर्वा राखजे तुं गम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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