Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(४५)
॥ अथ ॥ ॥ जगडूशा शेग्नी चोपाई॥
॥दोहा॥ ॥पास जिनेसर पाय नमी, प्रणमी श्रीगुरु पाय ॥ जगडूशा सुरला तणा, गुण गातां सुख थाय ॥१॥ राजा करण मरी करी, पोहोतो सरग मकार ॥कंचनदान प्रनावथी, पग पग रहे मनोहार॥॥मानवनव जो पामीए, तो सही दीजे अन्न ॥ देवलोकथी अवतस्यो, जगडूशा धन धन्न ॥३॥
॥ ढाल चोपाश्नी ॥ ॥जंबूझीप शोहे सुविचार, दक्षिण जरत तिहां मनोहार ॥ सामापचवीश आरज देश, धर्म करे श्रावक सुविशेष ॥१॥लाट नोट अने करणाट, गुजर मालव ने मेवाम ॥ कल देशमां जगडू थयो, श्रीमालीकुल दीवो कह्यो ॥२॥ जजेसर पाटण सुप्रसिद्ध, धण कण कंचण रुक समृ॥चोराशी चहुटां सुविशाल, देवल दीठे काकजमाल ॥३॥ व्यवहारी वासे त्यां वसे, शाह सुरला कर्मी उनसे ॥ जेहने कोटी
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