Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 44
________________ () मेघरत्न गणिवर तसु विनयी, अमररत्न आचारी जी ॥६॥ शिवरत्न तसु शिष्य सवार, पामी तास पसायो जी ॥ ए में वारु रास बनायो, आज अधिक सुख पायो जी॥७॥ वरष सत्तरसें समस: आसो, वदि बह ने सोमवार जी ॥ मृगशिर नदात्र ने शिवयोगे, गाम उनावा मकार जी॥७॥ नीमनंजन प्रज्जु पास पसाये, लीलावतीनी लीला जी ॥ सुमतिविलाल संयोगे गाइ, सुणी व्यापे शिवलीला जी ॥ए॥ एह कथा जे नावे नणशे, एकमना सांजलशे जं। ॥ फुःख तेहनां सवि पूरे टलशे, मनना मनोरथ फलशे जी ॥ १० ॥ धन्यासीरी रागे सोहावी, ए एकवीशमी ढाल जी ॥ उदयरतन कहे आज में पामी,सुखसंपत्ति सुरसाल जी॥१९॥सर्व गाथा॥३३॥ 50-250-25dacadsads ॥ इति श्रीलीलावती राणी १ अने सुमतिविलास शेग्नो रास संपूर्ण ॥ S dopooo Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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