Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 28
________________ (२) ॥ जग० ॥ ॥ ७॥ पुरुष पीयारा नित्य नोगवो रे, ठूटो लाखीणी खूट ॥ जग ॥ धरती धूती खा तमे रे, पण आखर नथी. बूट ॥ जग ॥ ॥७॥ खोटी बदाम खरचो नहीं रे, जीव जाये जेणे ठाम ॥ जग ॥ तो केम खरचे दिनार तुं रे, दोहणी दहीने काम॥ जग ॥ ॥ ए॥ एक वले ने बीजो मेलवे रे, वली जुवे त्रीजानी वाट ॥ जग॥नित्य नवला नर वीने रे,खंदे दारीनो खाट ॥ जग ॥ आं० ॥ १० ॥ नर ते निश्चय आंधला रे, जे रहे तमारे आधीन ॥ जग ॥ नरके जाशे ते बापमा रे,फुःख देखशे थश्दीन ॥ जग॥०॥१९॥ पण शुलेश्जावू अडे रे,आखर धूले धूल ॥सुणोश्रोता रे॥जली लुमी रहे वारता रे, जीवडो जाये जेम तूल ॥ सुणो ॥ आंग ॥ १२॥ अवसरे आव्यो मले नहीं रे, कोश्ने लागतुं वयण ॥ सुणो ॥ तेरमी ढाले तक जोश्ने रे,उदय कहे सुणो सयण ॥सुणोण ॥ आं० ॥ १३ ॥ सर्व गाथा ॥ १४ ॥ ॥ दोहा॥ ॥ कामसेना कहे कंतने, कोश्क ए कुल शुरु ॥ कामिनी डे एहने कुले, केणे न वेच्युं उध ॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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