Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 26
________________ (२६) रे लो, रीस करशे वली वाम ॥ म ॥ ढुं० ॥४॥ हामा लोहणुं अबे रे लो, उजम मांहेलो नूत ॥म०॥ तुं नखराली गोरमी रे लो, केम चाले ने घरसूत ॥ म ॥ हुं० ॥५॥पग आगल नथी पेखता रे लो, करो बो पीयारी तांत ॥ म ॥ स्त्री जामी ने तुमे पातला रे लो, दीसे वे नांत कुनांत ॥म॥हुं०॥६॥ जामी ते नारी जोतां थकां रे लो, बे मंदिर- रूप ॥म०॥मुबली दीसे दयामणी रे लो, तेहने न माने नूप ॥ म० ॥ हुं ॥ ७॥ सलूणी कहे सुणो शेवजी रे लो, फोकट शी करो फूल ॥ म ॥ ग्रंथे वखाणी ले गोरमी रे लो, पातली हबुर फूल ॥ म० ॥ हुं० ॥७॥ बारमी ढाले एम बोलतां रे लो, वचननी करतां टोल ॥ म० ॥ उदयरतन कहे शेग्नी रे लो, दाढे लाग्यो बे गोल ॥ म ॥ हुं० ॥ ए॥ ॥ दोहा॥ . ॥मदेतो मनशुंरीजीने, दहींना पूछे दाम ॥ केता आपुं कहो खलं, लाजे विणसे काम ॥ १॥ सलूणी तव शिर नामीने, बोली टाढा बोल ॥ शेवजी हीणा दीसीए, महिy करतां मूल ॥२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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