Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(७) ॥ डाल तेरमी ॥ गोकुल गामने गोंदरे रे, श्रा
शी खूटाखूट ॥ मारा ॥ ए देशी ॥ ॥आंखमी राखोने धारणे रे, देखशे उर्जन लोक माहारा वाहाला रे ॥ माणसमां नथी बूटको रे, फजेत थातुं फोक ॥ मा॥ आंखमी० ॥१॥ अमे
जाति बाहेरमी रे, मुह माग्युं लहीए मोल ॥ मा ॥ के आपुं विण दोकडे रे, तेहवो देखें जो तोल ॥ मा० ॥ ॥२॥ गोरसनुं कहो \ गजुं रे, नाव धरो तो करूं नेट॥मा॥ हुँतुमथी अलगी नथी रे, जेमतेम आपq नेट॥मा॥ ॥३॥वाते वमान नीपजे रे, सांजलो शेठ सुजाण ॥ मा ॥ मटकी एम मोहोरे दीजं रे, घणी शो ताणोताण ॥ मा॥ आंग॥४॥ मुज सरखी जेने सुंदरी रे, तम सरिखो जेने नाथ ॥ मा० ॥ गोरस जमशे ते सही रे, मेहलो मरमाशे हाथ ॥ मा० ॥ आंग ॥५॥ वलती वेश्या खीजी कहे रे, जा रे जा जरवाम॥जगधूतारी रे ॥ गोरस न होये केहने रे, तो सही लीजे ए पाम ॥ ज० ॥ आंग ॥ ६॥ सलूणी एम सांजली रे, तरतरी थर कहे ताम ॥ जगनी लामी रे ॥ सुण गणिका में तुजने कली रे,रेख न राखुं हवे माम
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/90eb67bbdfda8ef867a202c928de77a1dae9070af95cdc41a1f481d8db4022c9.jpg)
Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48