Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ३२ )
माथे जे गाजे, ते तो काम घर वात न बाजे ॥ १४ ॥ जेम जेम गणिका बहु खीजे, महियारी तेम तेम रीजे ॥ जेहनुं न दुःखे पेट ने पासुं, तेहने खमखम यावे हासुं ॥ १५ ॥ दहीं दुधनी मोहोरुं वडे, पररा मि जोतां लोही चडे ॥ वैरी ज्यारे आवे वाज, त्यारे दिलनी जांजे दाज ॥ १६ ॥ गणिका कहें काली हाथ, शेवजी महियारी साथ ॥ दहीं दुध खावाने जार्ज, हवे
म घरमा न समावो ॥ १७ ॥ वाहालुं ने वैद्ये कयुं, बेनुं मन मान्युं तेम युं ॥ महियारी महेताने लेइ, तिहांथी चाली ससनेही ॥ १८ ॥ घाघरा उपर सोहे घाट, परण्यो लेइ चाली वाट || मोदनशुं कहे गुह्य मलीयां, महेता पूरुं मन रलीयां ॥ १७ ॥ ढाल पन्नरमी ए बोली, सोरठी रागे मन खोली ॥ उदयरत्न कहे जो कहेशो, तो सजा मांहे जरा लेशो ॥ २० ॥ ॥ दाहा ॥
॥ सजन थयो संयोग, वियोग रह्यो हवे वेगलों ॥ जोगवो नवला जोग, सलूणी कहे हवे साहेबा ॥ १ ॥ साहारा यौवन वेश, हुं मदवंती मानिनी ॥ जे केशो ते करेश, रति एक अरति राखो रखे ॥ २ ॥ शेठ कहे सुप नारि, हैये तिशुं होते कहुं ॥
धम
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