Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
( ११ ) आपो ने एह, पांच दिवस परणावीए ॥ १ ॥ व्यवहारी वयह, महीपति वर माग्यो यदा ॥ नीर जरी नयणेह, गणिका कहे यर गलगली ॥ २ ॥ प्रभुजी महारा प्राण, ए वि न रहे अध घमी ॥ पण तुम वचन प्रमाण, करवा आप्यो कुमर ते ॥ ३ ॥ - वधि उपर एक दिन, जो जाशे तो जीव मुज ॥ जाशे विण जीवन्न, जनपति साधुं जाणजो ॥ ४ ॥ राजजुवन गयो राय, परघो लेइ पोता तणो ॥ गजशुं घर याय, शीघ्र सदाफल शेठ ते ॥ ५ ॥ जोर चलावी जान, सारंगपुरना शेठनी ॥ बेटी बहु गुणवान्, परपावी निज पुत्रने ॥ ६ ॥ आपी बोहोली याथ, कुमरने हाथ मूकामणी ॥ ससरे सघलो साथ, पहेराव्यो प्रेमे करी ॥ १ ॥ लीलावती वधू लेह, चाल्यो दवे चोथे दिने॥कोसंबी कुशलेह, जान खावी बहु जो पशुं ॥ ८ ॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ वाग्या जांगी ढोल ॥ ए देशी ॥ ॥ ढमक्या जंगी ढोल, हे सखि ! ढमक्या जंगी ढोल नादे अंबर गाजीयो ॥ पुरनी शणगारी पोल, हे सखि० ॥ रीजीयो पुर राजीयो ॥ १ ॥ नीसाएना निर्घोष, हे० ॥ जुंगल मेरी जगह || लाख गमे पुरलोक, दे० ॥ जोवा आदर घणे ॥ २ ॥
For Personal and Private Use Only
Jain Educationa International
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/4575e0ea90e5866a56c58db1687890e86f99602651db5ca6a13dc618b661196f.jpg)
Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48