Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 16
________________ (१६) वहूने तेमवा, आदर नापे कोय ॥१॥ कहो शेवजी किहां वसो, किस्युं यहां के काम ॥ के जूला आव्या अबो, एम सहु पूडे ताम ॥२॥ वसीए कोसंबीपुरी, सदाफल महारं नाम ॥ आणे शहां आव्यो अर्बु, लीलावतीशुं काम ॥३॥किहां गाज्यो किहां गमगड्यो, किहां जश् वूगे मेह॥ किहां जग्यो किहां आथम्यो, लहो पटंतर एह ॥४॥ आव्या तेम जाउँ फरी, तमे तमारे गेह ॥ मारगमां बेठी नथी, बेटी अमारी एह ॥५॥ वेगे पाडो वालीयो, आणुं धरी अप्रीत ॥ सदाफल शेठ कोसंबीए, आव्यो लही अनीत ॥ ६॥ ॥ ढाल सातमी ॥ सहीयां मार। नयण ___ समारो ॥ ए देशी॥ ॥बीजे आणे हवे वहूने हे, वहेल जोमी वर्षांतरे जी ॥ कुलवहने तेमवा काजे, ससरो पोहोतो सारंगपुरे जी ॥१॥ लीलावती तव लाज करीने, मुख आगल जव उतरे जी॥ तव ससरो कहे वहजी तमे एक, वात सुणो वारु परे जी ॥२॥णतां जणतां ग्रंथ नणाये, रलतां रलतां शकि संपजे जी॥ शनैः शनैः पंथे चलाये, इंटे इंटे गढ नीपजे जी ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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