Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(३) कारी जले नरी हो राज, बेठो दातण करे कुमार रे ॥ हसी० ॥१॥ वांकी मेली पाघमी हो राज, वली बूटी मेली चाल रे॥ हसी० ॥ उरमा सोहे उतरी हो राज, रुमो जाणे राज मराल रे॥ ह॥२॥ सुर हो जाणे केवमो हो राज, सरलो जाणे चंपक बोम रे॥०॥ केसरीयो कोमामणो हो राज, मूडे उपे मुखनो मोम रे॥ हा ॥३॥ लोचन अमीय कचोलमां हो राज, मध्ये राती जीणी रेख रे॥६॥ अणीयाला काने अड्यां हो राज, काने मोती नजे सुविशेष रे ॥ ४० ॥ ४॥ रंगनीनो रलियामणो हो राज, उपे बेठो उंचे गमरे ॥६॥ कस्तुरीया मृगनी परे हो राज, महके मनमथशो अभिराम रे॥हा॥ ५॥ महियारी मन चिंतवे हो राज, धरणीतलमा गणिका धन्य रे ॥ हा ॥ में सही तप उडां तप्यां हो राज, पूरां कीधां एणे पुण्य रे ॥१०॥६॥एम मन मांहे बालोचती हो राज,रही मुखमा सामुंजोय रे॥ ह ॥ दशमी ढाले उदय वदे हो राज, फरी तिहां बोल्यो सोय रे॥हा॥७॥ सर्व गाथा॥१०॥
॥दोहा॥ ॥ महियारी मनमा किस्यो, वली वल्ली करो वि.
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