Book Title: Lilavati Rani ane Sumtivilasno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ (१०) वेनो॥तम पासे सुणो आज,मागे जे महाराजा हो आपो सुत था शेठनो॥ ए॥ कुबुद्धि ए कुविनीत, एह विना तमारे हो कहोने झुं अटकी रह्यं ॥ काढी मेहेलो वेग, मेनत करीने हो कहीए बै मानो कह्यु ॥१०॥ एहने काजे आप, महाराजा चालीने हो श्राव्या तुम मंदिरे॥ ते माटे तजी मोह, शेठने ए सुत आपो हो जेम अमे जश्ए घरे ॥ ११॥ खीजी गणिका ताम,तरतरी थश्ने हो बोली बोल एहवा सुण ॥ केहना कह्या माट, मनमान्या माणसने हो क्यारे को मूके गुणी ॥ १२॥रोष चढ्यो राजान, घणुं जो करे तो हो शूलीने अणीए धरे ॥ जीव जाये तो जाउँ, एक दिवस मरवू डे हो आखर सहुने शिरे ॥१३॥ शिर साटे ने प्रीत, प्रीतने कारण हो कहो तो प्राण आपुं वही॥ पण ए सुमतिविलास,पाणीवल पासेथी हो अलगो हुँ मेबुं नहीं ॥ १४ ॥ोड्यो बेल न जाय, कायानी जेम गया हो पिंजरने वली प्राणीयो ॥ उदय कहे चोथी ढाल, गणिकाए मन मांहे हो नृपनो जय नवि आणीयो ॥ १५ ॥ सर्व गाथा ॥ ७ ॥ ॥दोहा ॥ सोरठी चालमां ॥ ॥ निश्चल जाणी नेह, अवनीपति तव उच्चरे ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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