Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi me aaye hue Varttiko ka Samikshatmaka Adhyayan
Author(s): Chandrita Pandey
Publisher: Ilahabad University
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विद्याओं का पारायण एवं प्रवचन ब्रह्मा ने ही किया है जो कि अतिविस्तृत एवं प्रभूत
HTकार का था । ब्रह्मा का यही आदि वचन ही भविष्य में चल कर 'शास्त्र अध्या नाम से प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ । ब्रह्मा का यही सर्वप्रथम प्रवचन ही अनेकों अनुगामी प्रवचनों का उपजीव्य बना । किन्तु क्रममाः संक्षिप्त से संक्षिप्ततर होता गया । इसी लिए आगामी उत्तरवर्ती प्रवचनों को अनुशास्त्र, अनुतन्त्रअथवा अनुशासन कहा जाने लगा । एतदर्थ में 'शास्त्र' अथवा 'त' शब्द का प्रयोग गौणी वृत्ति से किया जात जाता है ।।
ब्रह्मा को समस्त विद्याओं एवम् शास्त्रों का आदि प्रवक्ता माना गया है उनमें बाइस शास्त्रों का सर्वमान्य सड़केत पण्डित भगवदत्त जी द्वारा लिखित 'भारतवर्ष का वृहद इतिहास में दर्शाया गया है। नामोल्लेखा एतदानुसार है - वेदज्ञान, ब्रह्मज्ञान, योगविद्या, आयुर्वेद, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र कामशास्त्र, गणितशास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, नाट्यवेद, इतिहास-पुराण, मीमांसाशास्त्र, व्याकरणशास्त्र इत्यादि ।
बृहस्पति
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ब्रह्मा के पश्चात् व्याकरण्मास्त्र का द्वितीय सृष्टा बृहस्पति है । अक्तत्रानुसार अद्विगरा का पुत्र होने के कारण ही बृहस्पति ही अगिरस नाम से विख्यात हैं । ब्राह्मण ग्रन्थों में इसे देवों का पुरोहित लिखा है 12 तथा कोष ग्रन्थों में इसे 'सरों का आचार्य' भी कहा है ।
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1. "भिवतंत्रम् .. 2. बृहस्पति देवानां पुरोहितः । ऐब्रा0 8/26.