Book Title: Kayotsarga
Author(s): Kanhaiyalal Lodha
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 8
________________ प्रकाशकीय काउसग्ग (कायोत्सर्ग) जैन दर्शन में साधना की सर्वोच्च अवस्था है, किन्तु यदा-कदा दार्शनिक चर्चाओं में इसका अर्थ शरीर के शिथिलीकरण से जोड़ दिया गया है। वस्तुत: 'कायोत्सर्ग' देहातीत होने की साधना है। इस पुस्तक में कायोत्सर्ग को सर्वदोषों व दु:खों से मुक्त होने की सरलतम साधना के रूप में प्रस्तुत किया गया है। श्री कन्हैयालाल लोढ़ा जैन आचार व जैन आगम के अध्येता होने के साथ-साथ साधक भी हैं। उन्होंने अपने अध्ययन और अनुभव के आधार पर कायोत्सर्ग के इस महत्त्वपूर्ण अंग पर प्रकाश डाला है। हम उनके आभारी हैं। श्री टीकमचन्द हीरावत ने सम्पादन में विशेष सहयोग दिया है। उनके भी हम आभारी हैं। हमें हर्ष है कि यह पुस्तक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर (पुष्प-214), शंकर फाउण्डेशन, मुम्बई व सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर के संयुक्त प्रकाशन के रूप में प्रस्तुत है। हमें आशा है कि पुस्तक सामान्य पाठकों, विद्वानों व साधकों के लिए उपयोगी होगी। देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर शिखरचन्द सुराणा अध्यक्ष सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर हरिसिंह रांका अध्यक्ष शंकर फाउण्डेशन, मुम्बई कायोत्सर्ग 7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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