Book Title: Kasaypahudam Part 06
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 12
________________ ANSWER सिरि-जइवसहाइ रियविरइय-चुण्णिसुत्तसमण्णिदं सिरि-भगवंतगुणहरभडारओवइडे क सा य पा हु डं तस्स सिरि-वीरसेणाइरियविरइया टीका जयधवला तत्थ पदेसविहत्ती णाम पंचमो अत्थाहियारो ) (णमियूण अणंतजिणं अणंतणाणेण दिवसव्वटुं । कम्मपदेसविहत्तिं वोच्छामि जहागर्म पयदो ॥ १ ॥ अनन्त ज्ञानके द्वारा जिन्होंने सब पदार्थों को जान लिया है उन अनन्तनाथ जिनको नमस्कार करके कर्मप्रदेशविभक्तिको आगमके अनुसार सावधान होकर करता हूँ ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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