Book Title: Karm Rahasya
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Jinendra Varni Granthmala

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Page 7
________________ प्राक्कथन आज के लोक में मनुष्य जितना उत्पीडित और उत्पीड़क है उतना शायद पहले नहीं रहा। मनुष्य के भीतर जब 'अहं की सीमा लांघ जाती है तो वह उत्पीडक बन जाता है और दूसरे मनुष्य उत्पीडित हो जाते हैं। आज की स्थिति ऐसी ही चल रही है। अभी तीन-चार दशक पूर्व महात्मा गांधी का उदय रहा, जिन्होंने विश्व को शान्ति और अहिंसा का सन्देश दिया। हम नहीं समझते कि उनके इस सन्देश का विश्व पर कितना प्रभाव पड़ा किन्तु विश्व के बुद्धिजीवियों पर उसका अवश्य प्रभाव पड़ा है, जिन्होंने शान्ति व अहिंसा की स्थापना में योगदान दिया है और उसका फल यह हुआ कि विश्व के समस्त राष्ट्रों का संगठन बना, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के नाम से जाना जाता है। कम-से-कम वे एक मंच पर तो आ गये। आज सर्वत्र हिंसा का ताण्डव नृत्य चल रहा है । मनुष्य मनष्यता की सभी सीमायें लांघकर पश से भी निकष्ट आचरण की ओर निरन्तर अग्रसर है । महान संतो की पावन भूमि पर शान्ति प्रिय आचरण के लिए विश्वविख्यात भारत का जन मानस ही कण्ठित होकर जब विद्रोही हो गया है, तब अन्य देां की स्थिति कितनी भयावह होगी, यह आप स्वयं . विचार कर सकते हैं । प्रबद्ध वर्ग को विश्व की जनता को हिंसा से विरत रखने के लिए सचेष्टा होना आवश्यक है । मानवता की रक्षा हर प्रयत्न से हानी चाहिए । भारतीय ऋषि-महर्षियों ने हमेशा आध्यात्मिक दिशा प्रदान की है और अपने सन्देशों में उन्होंने अहिंसा के प्रचार और प्रसार पर अधिक बल दिया है। आचार्य समन्तभद्र ने तो 'अहिंसा' को जगत्-विदित 'परम ब्रह्म' कह कर उसके आचरण पर बहुत बड़ा बल दिया है। आचार्य अमृतचन्द्र ने लिखा है कि अपने में अन्योंके प्रति राग-द्वेष जैसे क्षुद्र विकारों को उत्पन्न न होने देना वस्तुतः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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