Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan

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Page 10
________________ ⭑ अर्थ सहयोगियों की : परिचय रेखा राजस्थानी इतिहास के निर्माण में सिवाना गढ़ की अपनी विशिष्ट देन रही है । इस भूखण्ड का अतीत अत्यन्त गौरवमय रहा है । राजपूत संस्कृति और आर्य धर्म का गढ समझा जाने वाला यह भूखण्ड परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर श्री अमरसिंह जी महाराज एव उनकी परम्परा के श्रद्धास्पद मुनि पुङ्गवों की साधनाभूमि रहा है। धार्मिक दृष्टि से सिवानागढ का महत्त्व अक्षुण्ण है । महानुयोगी श्री जेष्ठमल जी महाराज, तपोमूर्ति श्री हिन्दुमल जी महाराज एवं महास्थविर श्री ताराचन्द्र जी महाराज से संबद्ध धर्ममूलक कथाएँ, पुण्य संस्मरण आज भी जन मानस में अनुप्राणित हैं। उनका सिवाना गढ़ से घनिष्ट संपर्क रहा है, बल्कि कहना चाहिए, सिवाना गढ इन महापुरुषों के धार्मिक और सांस्कृतिक साधना का केन्द्र ही था। वे अनेक बार पधारे और वर्षावास किये तथा अपनी चारित्रिकसौरभ से जन-मानस को प्रभावित करते रहे। आज भी परम श्रद्धेय गुरुदेव, प्रसिद्ध वक्ता पण्डित प्रवर श्री पुष्कर मुनि जी महाराज की गढ़ सिवाना पर अपार कृपा दृष्टि है । शंका परिवार : सिवानागढ का रांका परिवार अतीत काल से ही धर्मनिष्ठ रहा है। इस परिवार के अनेकों व्यक्तियो ने जैनेन्द्री दीक्षा ग्रहण की है और अपने जीवन को साधना के द्वारा स्वर्ण की तरह निखारा है । सत्तरहवी शताब्दी मे श्री सोमचन्द्र जी रांका ने और उगणीसवीं शताब्दी में अक्षयचन्द्र जी ने, एव श्री हिन्दूमल जी ने आर्हती दीक्षा ली है। हिन्दू मल जी महाराज एक तपोनिष्ठ सन्त रत्न थे। उनकी त्यागनिष्ठा अपूर्व थी, संयम संग्रहण करने के साथ ही उन्होंने पांचों विगय का यावत् जीवन पर्यन्त के लिए त्याग कर दिया था। उनकी पुत्रवधू ने भी संयम को स्वीकार कर अपने जीवन को पावन बनाया था श्रीमान् मुल्तानमल जी माणकचन्द जी रांका : श्री मुलतानमल जी का जिनकी प्रबल प्रेरणा के कारण ही प्रस्तुत ग्रन्थ ने मूर्तरूप धारण किया, वे एक प्रतिभा सम्पन्न, विवेक निष्ठ श्रद्धालु श्रावक हैं । सर्वप्रथम स्थानक - वासी जैन समाज में कल्पसूत्र को प्रकाशित करवाने का श्रेय आपको ही है, आपकी ही प्रेरणा से स्वर्गीय उपाध्याय श्री प्यारचन्द जी महाराज ने कल्पसूत्र तैयार किया था, और वह पत्राकार जैनोदय प्रेस से मुद्रित हुआ था। वह संस्करण कभी का समाप्त हो चुका था और समाज की ओर से प्रतिदिन मांग बढ़ती हुई देखकर आपने श्रद्धय सद्गुरुदेव प्रसिद्ध वक्ता, गम्भीर तत्त्वचिन्तक पण्डित प्रवर श्री पुष्कर मुनि जी महाराज के सुशिष्य अनेक

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