Book Title: Kaise Sulzaye Man ki Ulzan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation
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शिकार होता है, वैसे ही आज्ञाचक्र शिथिल हो जाता है। उसे लगता है जैसे उसे चक्कर आ रहे हैं, सिर में दर्द हो रहा है और उसका मन कमजोर पड़ता जा रहा है। तनाव के रोग : दिल से दिमाग़ तक
__तनाव मन का सबसे भयंकर रोग है। रोगी मन ही शरीर को बीमार करता है। निश्चित तौर पर तनाव से उबरा जा सकता है, पर इससे पूर्व यह समझना जरूरी है कि वह हमारे तन, मन और जीवन पर क्या प्रभाव डालता है? तनाव के वश में है कि हमारे गृहस्थ जीवन को दुःखदायी कर दे, जीवनविकास को रोक दे, मन की प्रसन्नता को भंग कर दे और एकाकीपन में जीने को मजबूर कर दे। पता नहीं ऐसे कितने ही काम तनाव कर देता है। आप अगर स्वयं गहरे तनाव में जी रहे हैं या किसी तनावग्रस्त व्यक्ति के साथ जीने का मौका मिला है तो तनाव-जनित रोगों को जरूर देखा होगा। दिल की धड़कन से लेकर पेट और आँतों तक की बीमारियों को तनाव पैदा करता है। किसी को यह कब्ज की बीमारी कर देता है तो किसी को दस्त की। किसी के गले में रोग पैदा कर देता है तो किसी के कमर और जोड़ों में। थकान, कमजोरी, स्मरण-शक्ति का ह्रास, आत्मविश्वास में कमी और अनिद्रा जैसी बातें तो यह हर किसी के साथ कर ही देता है।
तनावग्रस्त व्यक्ति जब देखो तब उदास ही मिलता है। खुशियों के अवसर आने पर भी वह ग़म और उदासी में ही जीता है। काम-काज में उसकी दिलचस्पी नहीं रहती। किसी से बात करना भी वह पसंद नहीं करता। हर समय वह एक विशेष उदासी में जीता है। अगर कोई चेहरा लटकाकर बैठा हो तो एक बच्चा भी पछ लेगा, 'क्या बात है, किस बात का टेंशन है?' जैसे तेज धूप में फूल मुरझा जाते हैं, वैसे ही तनाव में हमारा चेहरा। चिकित्सकों को चाहिये कि जब वे किसी के शरीर का इलाज करें उससे पहले उसके मन का इलाज जरूर कर लें।
तनाव सीधे तौर पर दूसरा प्रभाव डालता है हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता पर । वह हमारी रोग-निरोधक क्षमता को घटा देता है। अमेरिका में डॉ.
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