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प्रिय होता है।
घर में रहने वाले लोगों का आपस में अहंकार टकराता रहता है लेकिन घर की एकता को वही कायम रख सकता है जो झुकने को तैयार है। दो में जो पहले झुकेगा वही महान् होगा। अकडू कभी महान् नहीं हो सकते। बुढ़ापे में कमर झुके इससे पहले हम युवावस्था में ही अपने मन और अहंकार को झुकाने की कोशिश करें। अहंकार के रूप अनेक
अहंकार कई तरह का होता है। किसी को जाति और कुल का बड़ा अहंकार होता है। मैं उच्च कुल में पैदा हुआ, यह नीच कुल में पैदा हुआ, यह मेरे सामने कुर्सी पर कैसे बैठ गया, यह दूल्हा गांव में घोड़ी पर बैठकर कैसे निकल गया इत्यादि। व्यक्ति के भीतर जाति का मद होता है। अरे, किसकी जाति अजर-अमर रही है ! आज तुम जिस जाति से नफरत करते हो, पिछले जन्म में तुम उसी जाति के रहे होंगे। वस्तुतः जाति से नहीं बल्कि बड़प्पन से व्यक्ति ऊंचा होता है। जो अकड़ा हुआ रहता है उसे हम ढूंठ कहते हैं और जो फलों, पत्तों से लदा रहता है उसे पेड़ कहते हैं।
दूसरा अहंकार लोगों को बल का अथवा शक्ति का होता है। दुर्जन लोग अपनी शक्ति का उपयोग दूसरों को पीड़ित करने के लिये करते हैं लेकिन सजन अपनी शक्ति का उपयोग औरों की पीड़ाओं को मिटाने के लिये करते हैं। उन्हीं की शक्ति सार्थक होती है जो दूसरों की पीड़ा कम करते हैं। बड़े से बड़ा पहलवान भी एक दिन बूढ़ा होता है, उसका शरीर कमजोर हो जाता है, उसके घुटने दर्द करने लगते हैं और चेहरे पर झुर्रियाँ भी पड़ जाती हैं। हर शक्तिशाली व्यक्ति एक दिन शक्तिहीन हो जाता है। रावण को भी अपनी शक्ति का अहंकार था और हम सभी जानते हैं कि यही अहंकार उसके विनाश का कारण बना। राख का रंग एक
कई लोग अपने सौन्दर्य का अहंकार भी रखते हैं। जो जरा भी सुंदर हुआ कि उसका रंग-ढंग ही बदल जाता है और उसे अपनी सुंदरता का घमंड हो जाता है। जरा बताएँ कि किसका सौंदर्य आजीवन रहा है ! बचपन जवानी
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