Book Title: Kaise Sulzaye Man ki Ulzan
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 146
________________ भाललितप्रभ कैसे सुलझाएँ मन की उलझन कैसे सुलझाएँ मन की उलझन त.का . पाट से प्रस्तुत पुस्तक 'कैसे सुलझाएँ मन की उलझन' में मन की उलझनों को परत-दर-परत उघाड़ा गया है। इसमें तनाव, चिंता, क्रोध, अहंकार, प्रतिशोध और अवसाद जैसे मन के रोगों को न केवल पकड़ने की कोशिश की गई है, अपितु यह किताब उन रोगों का निदान भी करती है। इस किताब का हर पन्ना तनाव, घुटन और अवसाद से उबरने के लिए किसी टॉनिक का काम करता है / मधुर जीवन के लिए आवश्यक है कि हमारा मनोमस्तिष्क मधुर हो और मनुष्य ढोंग से जीने की बजाय ढंग से जीना सीख जाए। जीवन में तनाव और चिंता की चिता जला देनी चाहिए। ये हमारी शांति, सुख और सफलता के शत्रु हैं / महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर महाराज आज देश के नामचीन विचारक संतों में हैं। प्रभावी व्यक्तित्व, बूंद-बूंद अमृतधुली आवाज, सरल विनम्र और विश्वास भरे व्यवहार के मालिक पूज्य गुरुदेव श्री ललितप्रभ मौलिक चिंतन और दिव्य ज्ञान के द्वारा लाखों लोगों का जीवन रूपांतरण कर रहे हैं। उनके ओजस्वी प्रवचन हमें उत्तम व्यक्ति बनने की समझ देते हैं। अपनी प्रभावी प्रवचन-शैली के लिए देश भर के हर कौम-पंथ-परम्परा में लोकप्रिय इस आत्मयोगी संत का शांत चेहरा, सहज भोलापन और रोम-रोम से छलकने वाली मधुर मुस्कान इनकी ज्ञानसम्पदा से भी ज्यादा प्रभावी है। | Rs.30/ Jain E U Personale ale ces only www.jainelibrary.org

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